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Hindi News खेल क्रिकेट T20 होता तो 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल को अलग तरह से खेलते: तेंदुलकर

T20 होता तो 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल को अलग तरह से खेलते: तेंदुलकर

चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का मानना है कि टी20 क्रिकेट के आने से वनडे में बड़े स्कोर का पीछा करने के बल्लेबाजों के रवैये में बदलाव आया है और अगर 2003 विश्व कप के दौरान ऐसा होता तो भारत को मदद मिलती।

Sachin Tendulkar | NIKLAS HALLE'N/AFP/Getty Images- India TV Hindi Sachin Tendulkar | NIKLAS HALLE'N/AFP/Getty Images

मुंबई: चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का मानना है कि टी20 क्रिकेट के आने से वनडे में बड़े स्कोर का पीछा करने के बल्लेबाजों के रवैये में बदलाव आया है और अगर 2003 विश्व कप के दौरान ऐसा होता तो भारत को मदद मिलती। भारत को 2003 विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 125 रन से हराया था। ऑस्ट्रेलिया ने 2 विकेट पर 359 रन बनाये थे जिसके जवाब में भारतीय टीम 234 रन पर आउट हो गई थी।

तेंदुलकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यदि हम वह मैच आज खेलते तो खिलाड़ी अलग तरीके से खेलते। हम उस मैच में उत्साह से भरे थे और पहले ही ओवर से काफी उत्साहित थे। यदि उन्हीं खिलाड़ियों को आज मौका मिलता तो खेल के प्रति रवैया दूसरा होता।’ तेंदुलकर मुंबई में अपने बायोपिक ‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’ के मीडिया प्रीमियर के बाद पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने कहा, ‘टी20 क्रिकेट उस समय होता तो खिलाड़ियों का रवैया अलग होता क्योंकि उन दिनों 359 रन बनाना मुश्किल लगता था। आज के दौर में यह आसान लगता है।’

इस बीच उन्होंने BCCI के पूर्व अध्यक्ष और और चयन समिति के अध्यक्ष राजसिंह डुंगरपूर की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘राज भाई ने मुझे कहा था कि अपनी परीक्षा पर फोकस करो। तुम वेस्टइंडीज (1989) नहीं जा रहे हो। रणजी सेमीफाइनल के दौरान हम दिल्ली में खेल रहे थे और मैं नेट प्रैक्टिस कर रहा था। मुझे याद है कि राज भाई मेरे पास आए और कहा कि सचिन इस रणजी ट्रॉफी के बाद आप SSC की परीक्षा पर फोकस करो। आप वेस्टइंडीज नहीं जा रहे हैं। राज भाई ने हमेशा मेरा सहयोग किया।’

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