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ईश सोढ़ी ने नस्लवाद पर अपने अनुभव को किया साझा, कही यह बड़ी बात

सोढ़ी चार साल के थे जब उनके भारतीय माता-पिता उन्हें लेकर न्यूजीलैंड आ गए थे। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय टीम अलग-अलग जातियों से भरी है और विविधता ऐसी चीज है जो हमेशा से टीम में रही है।

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न्यूजीलैंड के लेग स्पिनर ईश सोढ़ी को लगता है कि उन्होंने नस्लवाद के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं किया है और इसलिए वे इस संबंध में जागरूकता फैलाना चाहते हैं। अमेरिका में अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद ब्लैक लाइव्स मैटर नाम के मूवमेंट ने जोर पकड़ लिया है और पूरे विश्व में इसे समर्थन भी मिल रहा है।

एनजेडहेराल्ड डॉट को डॉट एनजेड ने सोढ़ी द्वारा न्यूजटॉक से की गई बातचीत के हवाले से लिखा है, "विविधता ऐसी चीज है जिसके साथ मैं बढ़ा हुआ हूं। यह ऐसी चीज है जिससे कम उम्र में ही वाकिफ हो गया था।"

उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि समाज में जाने और अलग-अलग लोगों के साथ मिलने जुलने के संबंध में मैंने शायद उतना कुछ नहीं किया जितना मैं करना चाहता हूं।"

सोढ़ी चार साल के थे जब उनके भारतीय माता-पिता उन्हें लेकर न्यूजीलैंड आ गए थे। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय टीम अलग-अलग जातियों से भरी है और विविधता ऐसी चीज है जो हमेशा से टीम में रही है।

उन्होंने कहा, "मैं इसे एक जिम्मेदारी के रूप में नहीं देखता हूं, यह अच्छी बात है कि मैं भारतीय मूल का खिलाड़ी हूं जो न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करता है।"

सोढ़ी ने कहा, "मैं इकलौता नहीं हूं, हमारे पास जीत रावल हैं, एजाज पटेल हैं, हमारे पास मार्क चापमैन हैं जिनकी मां चीन की हैं। हमारे पास दक्षिण अफ्रीका में पैदा होने वाले नील वेग्नर, बीजे वाटलिंग हैं। इसलिए विविधता तो है।"

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