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Hindi News खेल क्रिकेट सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहो, तो वो सच ज़रूर होते हैं: सचिन तेंदुलकर

सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहो, तो वो सच ज़रूर होते हैं: सचिन तेंदुलकर

नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर करीब 16 साल की उम्र में जब पहली बार टेस्ट मैच बल्ला लेकर उतरे थे, तो कौन जानता था कि यह खिलाड़ी एक दिन ‘क्रिकेट के भगवान’ के रूप में जाना

Sachin Tendular- India TV Hindi Sachin Tendular

नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर करीब 16 साल की उम्र में जब पहली बार टेस्ट मैच में बल्ला लेकर उतरे थे, तो कौन जानता था कि यह खिलाड़ी एक दिन ‘क्रिकेट के भगवान’ के रूप में जाना जाएगा। ये तमग़ा सचिन ने बेहद कड़ी मेहनत और सालों की कड़ी साधना के बाद हासिल किया है। सच तो यह है कि उन्होंने सपने देखे और फिर उन्हें पूरा करने की ज़िद कभी नहीं छोड़ी। एक वक्त ऐसा भी आया था, जब उनसे पूछा जाता था कि वह क्रिकेट से संन्यास कब लेंगे? मगर ऐसे सवाल पूछने वाले भी कहां जानते थे कि वे जिससे सवाल पूछ रहे हैं, उसके सपनों को समझना उनके बस की बात नहीं है। सचिन अकसर कहते भी रहे हैं कि हमें अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश को कभी बंद नहीं करना चाहिए, क्योंकि सपने एक दिन ज़रूर सच होते हैं।

24 अप्रैल का सचिन के जीवन में खास महत्व

इस महान क्रिकेट खिलाड़ी के लिए 24 अप्रैल का दिन खास महत्व रखता है, क्योंकि उनका जन्म 24 अप्रैल, 1973 में मुंबई में एक मराठी कवि रमेश तेदुलकर से घर हुआ था। सचिन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बेहद शौक था और उनके इसी शौक ने उन्हें दुनिया और खासतौर से खेलों के इतिहास में वह जगह दिलाई है, जो बहुत कम लोगों को हासिल होती है। स्कूली क्रिकेट में विनोद कांबली के साथ एक मैच में रनों का ढ़ेर लगाने की वजह से वह पहली बार चर्चा में आए थे और उसके बाद तो उन्होंने मुड़कर पीछे कभी नहीं देखा। अपने जन्मदिन के दिन उन्होंने केवल एक वनडे मैच खेला था और शानदार शतक जमाया था। उनकी उस पारी को क्रिकेट के इतिहास में डेज़र्ट स्टार्म के नाम के याद किया जाता है।

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