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Hindi News खेल क्रिकेट सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहो, तो वो सच ज़रूर होते हैं: सचिन तेंदुलकर

सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहो, तो वो सच ज़रूर होते हैं: सचिन तेंदुलकर

नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर करीब 16 साल की उम्र में जब पहली बार टेस्ट मैच बल्ला लेकर उतरे थे, तो कौन जानता था कि यह खिलाड़ी एक दिन ‘क्रिकेट के भगवान’ के रूप में जाना

Sachin is considered technically best batsman in the world

वनडे में दोहरा शतक जमाने वाले पहले बल्लेबाज

टेस्ट क्रिकेट ही नहीं, सचिन के बल्ले का कमाल एकदिवसीय मैचों में भी दिखा। हालांकि टेस्ट क्रिकेट की ही तरह अपने पहले वनडे मैच में भी वह विफल रहे और बिना खाता खोले ही पेवेलियन लौट गए। अपना पहला वनडे शतक भी वह 78 पारियां खेलने के बाद ही बना पाए थे। लेकिन एक बार उनका बल्ला चला, तो शतक के बाद शतक उगलने लगा। उनके प्रशंसकों को सचिन को शतक बनाते देखने की आदत-सी पड़ गई। जब वह शतक नहीं बनाते थे, तो उनके फैंस निराश हो जाते और कहते सचिन का बैट नहीं चला। अपने वनडे करियर में सचिन ने कुल 463 मैच खेले और 44.83 की औसत से 18,426 रन बना डाले, जिनमें 96 अर्धशतक और 49 शतक शामिल हैं। वनडे में पहला दोहरा शतक भी उन्होंने ही जड़ा था।

भारत रत्न पाने वाले पहले खिलाड़ी

दो दशक से भी ज़्यादा वक्त तक खेलने के बाद 2013 में सचिन ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। मैदान पर और उसके बाहर उनकी अपार लोकप्रियता और उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया और इस अवार्ड को पाने वाले वह पहले खिलाड़ी भी बने।

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