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वीरू का क्रिकेट को अलविदा: जानदार...ज़बरदस्त...ज़िंदाबाद

नई दिल्ली: 12 साल के शानदार करियर में अपनी आतिशी पारी के लिए जाने जाने वाले वीरेंद्र सहवाग ने आज गुमनामी में संन्यास ले लिया। क्रिकेट का कोई भी दीवाना अगर सचिन को मास्टर के

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नई दिल्ली: 12 साल के शानदार करियर में अपनी आतिशी पारी के लिए जाने जाने वाले वीरेंद्र सहवाग ने आज गुमनामी में संन्यास ले लिया। क्रिकेट का कोई भी दीवाना अगर सचिन को मास्टर के तौर पर जानता था तो सहवाग टीम इंडिया के रियल ब्लास्टर थे। वीवीएन रिचर्ड के बाद वीरेंद्र सहवाग ही एकलौते ऐसे बल्लेबाज थे जो फुटवर्क का कम इस्तेमाल करते थे। यार्कर गेंद पर सहवाग की चौका मारने की काबिलियत देखते ही बनती थी।

सहवाग ने अपने करियर में 251 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर 35 . 05 की औसत से 8273 रन बनाए। इसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक भी शामिल हैं। एकदिवसीय क्रिकेट में वह सचिन तेंदुलकर के बाद दोहरा शतक जड़ने वाले दूसरे बल्लेबाज बने थे। जनवरी 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ कोलकाता में अपना आखिरी वनडे मैच खेलने वाले सहवाग ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ इंदौर में 219 रन की पारी खेली थी जो तब वनडे में किसी भी बल्लेबाज का सबसे बड़ा स्कोर था। इस सत्र में दिल्ली के बजाय हरियाणा की तरफ से रणजी ट्राफी में खेल रहे सहवाग ने 19 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 394 रन बनाये। उन्होंने अपना आखिरी टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच 2012 में खेला था।

सहवाग ने दुनिया को दिखाया कि किस तरह से कम से कम फुटवर्क का उपयोग किए बिना गेंद को सीमा रेखा के पार भेजा जा सकता है। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में किसी भी अन्य बल्लेबाज की तुलना में अधिक तेजी से रन बनाए। नजफगढ़ में पैदा हुए सहवाग ने भी अपनी पीढ़ी के अन्य युवाओं की तरह तेंदुलकर जैसा बनने का सपना पाला था। अपने पहले टेस्ट मैच में उन्हें तेंदुलकर के साथ साझेदारी निभाने का मौका मिला जिसमें इन दोनों ने शतक जमाए थे।   

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