आज के दिन: 12 साल पहले पाक को हरा धोनी के 'मिडास टच' की हुई थी शुरुआत, भारत ने जीता 2007 टी20 विश्वकप
फाइनल मैच में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के जुझारू सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने शानदार 75 रनों की पारी खेली थी।
12 साल पहले आज के ही दिन टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी चपलता का बेजोड़ नमूना पेश करते हुए टीम इंडिया को पहला टी20 विश्वकप जीताया था। इस विश्वकप के बाद से ही भारतीय क्रिकेट में दिन दुनी रात चौगुनी रफ़्तार से बदलाव हुआ और टीम इंडिया ने पूरी दुनिया में अपना दमखम दिखाया। आज के ही दिन ( यानी 24 सितंबर 2007 ) धोनी ने क्रिकेट इतिहास के पहले साल 2007 में खेले गए विश्वकप को जीतकर बता दिया था की वो अब रुकने वाले नहीं है। अथार्त उन्होंने टीम इंडिया को क्रिकेट जगत में वो सबकुछ दिया जो आज तक कोई दूसरा कप्तान नहीं दे पाया। धोनी अब आईसीसी की तीनो ट्रॉफी ( टी20 विश्वकप, 2011 विश्वकप, और 2013 आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी ) भारत को जीताने वाले एकमात्र भारतीय कप्तान हैं।
खैर आज का ही दिन है तो बात करते हैं टी20 विश्वकप 2007 की जिसमें भारत बनाम पाकिस्तान के बीच हाईवोल्टेज वर्ल्ड कप टी20 फ़ाइनल खेला गया। भारत की तरफ से जोगिन्दर शर्मा का आखिरी ओवर और पाकिस्तान के मिस्बाह उल हक का पल्लू शॉट और श्रीसंत का विश्वकप विजयी कैच आज भी हर एक भारतीय क्रिकेट फैंस के दिल में बसा हुआ है। इसी सुनहरे पल को याद करते हुए आज हम आपको बताएंगे आखिर किन-किन खिलाड़ियों के दमपर भारत ने क्रिकेट जगत के फटाफट फ़ॉर्मेट में गोल्डन इतिहास रचा था।
इस विश्वकप में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे। जिनकी शानदार कप्तानी के चलते भारतीय टीम 1983 के बाद दूसरी बार क्रिकेट के खेल में विश्व विजेता बनी।
फाइनल मैच में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के जुझारू सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने शानदार 75 रनों की पारी खेली थी। जिसके चलते भारत ने पाकिस्तान के सामने साउथ अफ्रीका के जोहानिसबर्ग मैदान में चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया था।
इसके बाद गेंदबाजी में उस समय स्विंग के बादशाह माने जाने वाले इरफान पठान ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने कोटे के 4 ओवरों में 16 रन देकर 3 विकेट चटकाए थे। जिससे पाकिस्तान की बल्लेबाजी की कमर टूट गई और पठान मैन ऑफ द मैच बने।
दूसरे गेंदबाज उत्तर प्रदेश से आने वाले आरपी सिंह ने पूरे टूर्नांमेंट के 7 मैचों में 12 विकेट चटकाए थे। द. अफ्रीका के खिलाफ उनकी कहर बरपाती गेंदबाजी (4-0-13-4) के चलते भारत ने सेमीफाइनल में जगह पक्की की थी। इतना ही नहीं फाइनल में भी उन्होंने इरफ़ान के बराबर पाकिस्तान के 3 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा था।
अंतिम ओवर का रोमांच
फाइनल के आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन चाहिए थे। कप्तान धोनी ने बिल्कुल नवेले गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को गेंद थमा दी। सामने पाकिस्तान के बल्लेबाज मिस्बाह उल हक थे। चारो तरफ आवाज उठने लगी आखिर जोगिंदर शर्मा को गेंद क्यों पकड़ा दी...? लेकिन यही से शुरू हुआ था धोनी का निद्हास टच ( यानी जो छू लो वो सोना बन जाए)।
इस नवेले गेंदबाज ने अपने ओवर से रच दिया सुनहरा इतिहास और क्रिकेट जगत में चारों तरफ धोनी के नाम का सिक्का बुलंदियों को छू रहा था।
आखिरी ओवर की कहानी
जोगिंदर ने पहली गेंद वाइड फेंकी। अगली गेंद, जो वाइड के बदले फेंकी गई, मिस्बाह चूक गए। रन नहीं बना। जोगिन्दर के हाथ-पाँव फूले हुए थे उन्होंने मिस्बाह को फुलटॉस फेंक दी जिस पर मिस्बाह ने शानदार छक्का जड़कर पाकिस्तानी उम्मीदों को फिर जगा दिया। फिर तीसरी गेंद पर मिस्बाह ने स्कूप या कहे पल्लू शॉट ट्राई किया गेंद शॉर्ट फाइन-लेग की तरफ हवा में गई और नीचे खडें श्रीसंत ने दबाव में संयम के साथ मानो कैच और विश्वकप दोनों लपक लिया हो और धोनी एंड कंपनी ने इतिहास रच दिया। टीम इंडिया ने इस मैच को 5 रन से जीता।
इस विश्वकप को जीतने के बाद पूरा देश क्रिकेट के एक सूत्र में बंध गया था। चारों तरफ रांची के लाल महेंद्र सिंह धोनी की प्रशंसा के गीत गाए जा रहा थे। वहीं धोनी ने भी एक और बड़ा इतिहास रचने की तरफ अपना पहला कदम बढ़ा दिया था। जिसके बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और टीम इंडिया दिन प्रति दिन धोनी की कप्तानी में ताकतवर बनती गई। लिहाजा भारत ने विश्वकप 2011 जीतकर एक बार फिर करोड़ो भारतीय फैंस को घर से निकलकर सड़कों पर जश्न मनाने का मौका दिया।