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Hindi News खेल क्रिकेट निदाहास ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में विजय शंकर को अपना सिर कलम होने का डर था, जानें क्यों

निदाहास ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में विजय शंकर को अपना सिर कलम होने का डर था, जानें क्यों

भारत और बांग्लादेश के बीच निदास ट्रॉफी फाइनल मैच के आख़िरी ओवर के बारे में विजय संकर ने कहा कि मैं सोचे जा रहा था कि मेरे साथ क्या होगा .

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भारत और बांग्लादेश के बीच निदास ट्रॉफी फाइनल मैच ज़बरदस्त रोमांचक था. मैच का फ़ैसला अंतिम बॉल पर हुआ था. टीम इंडिया को जीत के लिए एक गेंद पर पांच रन की ज़रुरत थी. विकेटकीपर दिनेश कार्तिक ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी कर रहे थे लेकिन अंतिम बॉल पर क्या होगा कोई नहीं जानता था लेकिन कार्तिक ने उस बॉल पर छक्का लगाकर भारत को हैरतअंगेज़ जीत दिलवा दी. 

मैच के आखिरी ओवरों के बारे में तेज़ गेंदबाज़ विजय शंकर ने कहा कि आखिरी गेंद के समय वे ड्रेसिंग रूम में अपनी आंखे बंद करके बैठे थे और प्रार्थना कर रहे थे कि दिनेश कार्तिक आखिरी गेंद को कहीं भी स्टैंड की तरफ मार दें. उन्होंने जब आंख खोली तो स्टेडियम में शोर मचा हुआ था.

जीत के बाद शंकर ने गहरी सांस ली और खुशी के मारे झूमते हुए दिनेश कार्तिक के पास जा पहुंचे. विजय शंकर ने बताया कि दिनेश कार्तिक उनके केवल मेंटॉर ही नहीं बल्कि उनके आदर्श भी हैं. विजय शंकर ने कहा, “यह मेरी जिंदगी का कभी न भूल पाने वाला क्षण था.”

शंकर ने कहा, “वो केवल 15 मिनट थे लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे एक-दो घंटे हों. मैं सोचे जा रहा था कि मेरे साथ क्या होगा अगर दिनेश कार्तिक छक्का न मार पाए और हम हार गए. इसके साथ ही मैं यह भी सोच रहा था कि अगर मैंने डॉट बॉल न खेली होती तो हम यह मैच ज्यादा आसानी से जीत पाते लेकिन मैं दिनेश कार्तिक का शुक्रगुज़ार हूं कि उनकी बदोलत हम यह मैच जीत पाने में कामयाब हो सके. वहीं मैं थोड़ा निराश भी हूं क्योंकि इस मैच को खुद से जिताने के लिए मैंने एक बहुत बड़ा अवसर गंवा दिया.” 

आपको बता दें कि फाइनल में विजय शंकर ने 19 गेंदों पर 17 रन बनाए थे. उस समय तीन डॉट बॉल खेलना बहुत महंगा पड़ सकता था.

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