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Hindi News खेल क्रिकेट विराट कोहली भले ही हों चीकू लेकिन जिगरा है शेर का, न हो विश्वास तो जानें ये घटना

विराट कोहली भले ही हों चीकू लेकिन जिगरा है शेर का, न हो विश्वास तो जानें ये घटना

विराट कोहली आज भले ही एक बड़े सेलीब्रेटी हैं लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था.

Virat Kohli- India TV Hindi Virat Kohli

नयी दिल्ली: टीम इंडिया के कप्‍तान विराट कोहली इस समय दुनियां के बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं और उनका फ़ॉर्म भी शानदार चल रहा है. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीसरे वनडे में भी शतक लगाकर वह सचिन तेंदुलकर के बाद वनडे में सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ बन गए हैं. उनके नाम अब 32 शतक हैं. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ में कोहली ने दो शतक जड़े हैं. 

विराट कोहली आज भले ही एक बड़े सेलीब्रेटी हैं लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था. कोहली एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिता प्रेम कोहली वकील थे. विराट अपने पिता के बहुत क़रीब थे. घरवाले उन्हें प्यार से आज भी चीकू बुलाते हैं. या गया है. प्रेम कोहली ने ही 9 साल के चीकू का क्रिकेट से परिचय करवाया था. वह उन्हें स्कूटर पर बैठाकर पहली बार वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी लेकर गए थे.

Virat Kohli with Ffather Prem Kohli

विराट के पिता का 2006 में ब्रेन स्ट्रोक के कारण 54 के साल की उम्र में निधन हो गया था. उस वक्त विराट महज़ 18 साल के थे और वह दिल्ली की ओर से रणजी ट्रॉफ़ी में खेल रहे थे. दिल्‍ली का मैच कर्नाटक के खिलाफ था. पहले दिन कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन बनाए थे. दूसरे दिन पांच विकेट गिर जाने से मुश्किल में फंस गयी थी दिल्‍ली की टीम. विराट एंड कंपनी के सामने मैच बचाने की चुनौती थी. कोहली क्रीज पर डटे हुए थे, उनके साथ पुनीत बिष्ट बल्‍लेबाजी कर रहे थे. दोनों ने मिलकर दिल्‍ली का स्‍कोर 103 तक पहुंचा दिया.
 
उस दिन कोहली 40 रन बनाकर नॉआउट लौटे लेकिन उसी रात विराट कोहली के पिता का निधन हो गया. जब ये ख़बर ड्रेसिंग रूम तक पहुंची तो ज़ाहिर है सबको लगा कि विराट अगले दिन खेलने नहीं आएगा, यहां तक कि कोच ने भी कोहली की जगह दूसरे खिलाड़ी को बल्‍लेबाजी के लिए भेजने का फैसला कर लिया था लेकिन लोग तब चौंक गये जब कोहली स्टोडियम पहुंच गये. उस दिन कोहली ने 90 रन की पारी खेली और आउट हो गये.
 
आउट होने के बाद कोहली ड्रेसिंग रूम गये और पहले देखा कि वो कैसे आउट हुए और फिर उसके बाद वो अपने पिता के अंतिम संस्‍कार में शामिल होने के लिए चले गये. जब वो जा रहे थे उस समय दिल्‍ली की टीम को मैच बचाने के लिए मात्र 36 रन चाहिए थे.

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