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Hindi News खेल क्रिकेट रेसलर होने का मार्शल आर्ट में मिल रहा है फायदा, स्किल्स पर कर रही हूं काम: रितु फोगाट

रेसलर होने का मार्शल आर्ट में मिल रहा है फायदा, स्किल्स पर कर रही हूं काम: रितु फोगाट

राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पूर्व महिला पहलवान रितु फोगाट मिक्सड मार्शल आर्ट (एमएमए) अपने विजयी पदार्पण के बाद अब अपने एक और फाइट के लिए तैयार हैं।

<p>पहलवान होने से...- India TV Hindi Image Source : ONE CHAMPIONSHIP पहलवान होने से मार्शल आटर्स में मिल रही काफी मदद, स्किल्स पर कर रही हूं काम: रितु फोगाट

नई दिल्ली| राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पूर्व महिला पहलवान रितु फोगाट मिक्सड मार्शल आर्ट्स (एमएमए) अपने विजयी पदार्पण के बाद अब अपने एक और फाइट के लिए तैयार हैं। रितु ने पिछले साल नवंबर में चीन में कैडिलैक एरेना में वन चैंपियनशिप के 'ऐज ऑफ ड्रैगन्स' प्रतिस्पर्धा के एटोमवेट वर्ग में दक्षिण कोरिया की किम नाम को मात दी थी। अब वह अपना अगला मुकाबला 28 फरवरी को सिंगापुर के इंडोर स्टेडियम में चीन की प्रो एमएमए फाइटर वू चियाओ चेन से वन : किंग ऑफ द जंगल मुकाबले में भिड़ेंगी।

25 साल की रितु इस मुकाबले के लिए अपने अपनी स्किल्स पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। रितु ने अपनी फाइट से पूर्व आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, "एमएमए और कुश्ती में ज्यादा अंतर नहीं है। एमएमए में भी ताकत, स्पीड और स्टेमिना चाहिए और कुश्ती में भी। लेकिन स्किल्स में थोड़ा अंतर है। रेसलिंग में कुछ चीजें सीमित होती हैं, लेकिन मार्शल आर्ट में आपको बहुत करने की आजादी होती है।"

उन्होंने कहा, "एक खेल से दूसरे खेल में जाना मुश्किल होता है, लेकिन मैं कुश्ती से इसमें आई हूं तो मेरे लिए यह चीजें आसान थी। विश्व चैंपियनशिप में स्किल्स पर ज्यादा ट्रेनिंग मिलती है, इसलिए मैं इसके स्किल्स से काफी अच्छी तरह से अवगत हो चुकी हूं। लेकिन अभी भी मुझे अपनी स्किल्स पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।" रितु अपने इस मुकाबले के लिए सिंगापुर में विश्व प्रसिद्ध इवाल्व, मुआये थाई और ब्राजीली जीयू-जित्सू वल्र्ड चम्पियंस के साथ अभ्यास कर रही हैं।

उन्होंने अपने अगले मुकाबले को लेकर कहा, "मैंने अपने प्रतिद्वंद्वी की फाइट देखी है। मैंने उसके वीडियो भी देखे हैं। लेकिन मेरे ट्रेनिंग शेड्यूल में कोई ज्यादा बदलाव नहीं है। मेरी जो कमजोरी है, मैं उसपर ध्यान दे रही हूं और जो ताकत है, मैं उसे कायम रखने की कोशिश कर रही हूं।"

महान कुश्ती कोच महावीर सिंह फोगाट की बेटी रितु अपना पदार्पण मुकाबला पहले ही राउंड में टेक्नीकल नॉकआउट में जीती थी और अब वह इस मुकाबले को भी नॉआउट में ही समाप्त करना चाहती हैं।

उन्होंने कहा, "मेरी कोशिश यह रहेगी कि मैं उन्हें पहले ही राउंड में हरा दूं और जितना जल्दी हो सके मुकाबला समाप्त कर दूं। इस मैच में मेरा एक ही लक्ष्य होगा कि जितना जल्दी हो सके मैं उसे नॉकआउट कर दूं। पहले मैच में मैं जीत गई थी। लेकिन इसके बावजूद मैंने उस मैच से काफी कुछ सीखा है।"

आठ साल की उम्र में ही कुश्ती में ताल ठोकने वाली रितु तीन बार राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का खिताब जीत चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने 2017 में पोलैंड में आयोजित वल्र्ड अंडर-23 रेसलिंग चैम्पियनशिप में रजत पदक भी जीता था और वह ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनी थीं।

यह पूछे जाने पर कि एक पहलवान के लिए कुश्ती से एमएमए में आने से कितना फायदा मिलता है? उन्होंने कहा, "एक पहलवान को मार्शल आर्ट में आने से बहुत फायदा मिलता है। मार्शल आर्ट में टॉप-10 के जितने भी फाइटर हैं, उसमें से सात पहलवान ही है। इसलिए मुझे लगता है कि एक पहलवान होने से मुझे मार्शल आर्ट में काफी मदद मिल रही है।"

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