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Hindi News खेल क्रिकेट Year Ender 2022: शरत कमल ने जब बर्मिंघम में लगाई पदकों की झड़ी, 40 की उम्र में अकेले जीते कई देशों से अधिक मेडल

Year Ender 2022: शरत कमल ने जब बर्मिंघम में लगाई पदकों की झड़ी, 40 की उम्र में अकेले जीते कई देशों से अधिक मेडल

Year Ender 2022: शरत कमल ने कॉमनवेल्थ खेलों में तीन गोल्ड समेत कुल 4 मेडल जीते।

Achanta sharath kamal- India TV Hindi Image Source : GETTY/PTI अचंता शरत कमल

Year Ender 2022: बढ़ती उम्र के साथ अपनी फिटनेस को कायम रखते हुए कीर्तिमान स्थापित करने के मामले में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन अगर मिसाल हैं, तो हमारे देश के दिग्गज टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंता शरत कमल भी किसी मामले में उनसे कम नहीं हैं। 40 साल की उम्र में भी अपने से कम उम्र के खिलाड़ियों को मात देना और लगातार नई उपलब्धियों को हासिल करना शरत के लिए अब एक रोज का काम हो गया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इसी साल बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में देखने को मिला, जब उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि अकेले 4 मेडल अपने नाम किए।

बर्मिंघम में किया ऐतिहासिक प्रदर्शन

शरत ने एकल स्पर्धा में गोल्ड, पुरुष टीम इवेंट में गोल्ड, मिश्रित युगल में गोल्ड और पुरुष युगल स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने अकेले कई देशों से अधिक पदक अपने नाम किए। इसे ऐसे समझें कि अगर वह कोई देश होते तो 72 देशों की लिस्ट में 16वें नंबर पर होते। शरत के जुनून और टेबल टेनिस के लिए उनके समर्पण को ऐसे समझा जा सकता है कि उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार 11 दिनों तक मुकाबले खेले, इस दौरान चार घंटे में अलग-अलग स्पर्धा के तीन मैच में उतरे और इनमें दो मेडल भी अपने नाम किए। 

कॉमनवेल्थ खेलों में जीते कुल 13 मेडल

यह पहली बार नहीं था जब शरत ने कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीते थे। वह 2006 में डेब्यू के बाद से अब तक कुल 13 मेडल जीत चुके हैं। शरत के इस साल के कॉमनवेल्थ गेम्स के प्रदर्शन पर नजर डालें तो उन्होंने 21 मुकाबलों में 19 में जीत हासिल की यानी उनका जीत का प्रतिशत 90.4 का रहा। शरत की उपलब्धियों को देखें तो वह कॉमनवेल्थ खेलों के इतिहास में कुल 13 गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।

2002 में नेशनल गेम्स में किया डेब्यू

चेन्नई में 1982 को जन्मे शरत की धाक सिर्फ कॉमनवेल्थ खेलों में ही नहीं रही बल्कि इसके अलावा उन्होंने कई अलग-अलग टूर्नामेंट में भी अपनी छाप छोड़ी। पिता के द्वारा चार साल की उम्र में टेबल टेनिस से रूबरू होने वाले शरत को 2002 में राष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला। शुरुआत में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार सुधार करते रहे। इसका फायदा उन्हें 2003 में मिला जब उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में अपना डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने 2006 में राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने चार अलग-अलग सीजन में मेडल जीते। इसके अलावा दो एशियन गेम्स के मेडल्स, तीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के साथ साथ दो आईटीटीएफ प्रो टूर खिताबों को भी अपने नाम किया।

शरत बने खेल रत्न

शरत को उनके शानदार करियर और बर्मिघंम राष्ट्रमंडल खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन का इनाम भी मिला और साल का अंत होते-होते उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया। इसके साथ ही वह इस अवॉर्ड को हासिल करने वाले देश के दूसरे टेबल टेनिस खिलाड़ी बने।

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