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Hindi News खेल आईपीएल 2009 में जब बिना स्पॉन्सर और सीमित कपड़ो में डेक्कन चार्जर्स ने जिता था खिताब, ओझा ने किया खुलासा

2009 में जब बिना स्पॉन्सर और सीमित कपड़ो में डेक्कन चार्जर्स ने जिता था खिताब, ओझा ने किया खुलासा

2009 में डेक्कन चार्जर्स टीम के खिलाड़ी प्रज्ञान ओझा ने हाल ही में बताया है कि कैसे उनकी टीम ने उस दौरान बिना प्रायोजकों और सीमित कपड़ों के बीच ये खिताब अपने नाम किया था।  

In 2009 when Deccan Chargers won the title without sponsors and limited clothes pragyan ojha reveale- India TV Hindi Image Source : TWITTER In 2009 when Deccan Chargers won the title without sponsors and limited clothes pragyan ojha revealed

दुनिया की सबसे रंगारंग लीग आईपीएल में काफी रोमांच देखने को मिलता है। यहां कोई टीम छोटी नहीं होती और हर खिलाड़ी अपनी टीम को मैच जीताने की काबलियत रखता है। इस लीग का चैंपियन वैसे तो हम मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स को मानते हैं जिन्होंने मिलकर 12 में से कुल 7 खिताब जीते हैं। लेकिन 2008 में राजस्थान रॉयल्स और 2009 में डेक्कन चार्जर्स ने यह खिताब जीतकर हर किसी को हैरान कर दिया था।

2009 में डेक्कन चार्जर्स टीम के खिलाड़ी प्रज्ञान ओझा ने हाल ही में बताया है कि कैसे उनकी टीम ने उस दौरान बिना प्रायोजकों और सीमित कपड़ों के बीच ये खिताब अपने नाम किया था।

2009 का आईपीएल भारत में इलेक्शन की वजह से साउथ अफ्रीका में खेला गया था। 2008 में अंकतालिका में सबसे नीचे रहने के बाद डेक्कन चार्जर्स के लिए यह सीजन काफी कठिन था।

ओझा ने क्रिकबज से कहा “2008 में अंक तालिका में सबसे नीचे रहने के बाद हमारे पास प्रायोजक नहीं हैं। प्रायोजकों के ना होने के कारण आप जानते हैं जब हम दक्षिण अफ्रीका पहुँचे तो हमारे पास सीमित मात्रा में कपड़े और प्रशिक्षण किट थे। जब गिल्ली (एडम गिलक्रिस्ट) ने आकर हमें बताया कि ये सभी चीजें मायने नहीं रखती हैं, तो चैंपियनशिप जीतने के बाद क्या मायने रखती हैं, देखें कि चीजें कैसे बदलेंगी। और मैं आपको बता रहा हूं, एक बार जब हम जीते थे, तो यह पूरी तरह से एक अलग बात थी।

ओझा ने आगे कहा “डेक्कन चार्जर्स अचानक एक अलग ब्रांड बन गया था। हर कोई हमें एक अलग तरीके से देखने लगा। आप विदेशी परिस्थितियों में खेल रहे हैं, किसी को भी घरेलू लाभ नहीं था ... किसी ने हमसे यह उम्मीद नहीं की कि हम पहले सीजन में इतना बुरा परफॉर्म करने के बाद जीत सकते हैं। हम दूसरे संस्करण में एक अलग टीम थे।"

अंत में ओझा ने कहा “गिल्ली बिलकुल संतुलित थे। वह वास्तव में जानते थे कि मालिकों और बाहरी दबाव को कैसे अवशोषित किया जाता है। उन्होंने सारा दबाव खुद लिया और टीम-सहयोगी कर्मचारियों को इससे दूर रखा। टीम को जिस भी दबाव का सामना करना पड़ता था, हो सकता है कि हमने कुछ खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया हो या जो भी हो, मालिकों, बाहरी लोगों का दबाव था, जैसे कि 15 साल के लोग नहीं, सहायक कर्मचारी, उन्होंने बहुत अच्छी तरह से संभाला। यह हमारी सबसे बड़ी ताकत थी।"