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इस साल अर्जुन अवॉर्ड की उम्मीद नहीं थी: हिमा दास

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बीते दिनों अपनी छाप छोड़ने वाली भारत की धावक हिमा दास ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस साल अर्जुन अवार्ड की उम्मीद नहीं थी।

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नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बीते दिनों अपनी छाप छोड़ने वाली भारत की धावक हिमा दास ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस साल अर्जुन अवार्ड की उम्मीद नहीं थी। हिमा को सोमवार को अजुर्न अवॉर्ड के लिए नामित किया गया है। उनके नाम पर अंतिम मुहर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर को लगानी है। हिमा ने कहा, "मुझे इस साल अर्जुन अवॉर्ड की उम्मीद नहीं थी। मुझे लगा था कि अगले साल मुझे यह पुरस्कार मिल सकता है।"

हिमा ने इस साल की शुरुआत में फिनलैंड में अंडर-20 चैम्पियनशिप में 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला धावक बनी थीं। इसके बाद हिमा ने हाल ही में इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित किए गए एशियाई खेलों में चार गुणा 400 मीटर स्पर्धा में भी भारत को स्वर्ण दिलाया था। अब उनका ध्यान आने वाले सीजन पर है जहां वह दक्षिण एशियाई खेलों, एशियाई चैम्पियनशिप और विश्व चैम्पियनशिप में शिरकत करेंगी। 

उन्होंने कहा, "यह सीजन खत्म हो चुका है। अगले साल, दक्षिण एशियाई खेल, एशियाई चैम्पियनशिप, विश्व चैम्पियनशिप होनी है। इसलिए मेरा इस पर ध्यान है कि मैं इन टूर्नामेंट्स के लिए किस तरह की तैयारी करूं और अपने आप को किस तरह से अलग-अलग टूर्नामेंट के लिए तैयार रखूं।"

हिमा से जब पूछा गया कि वह किस प्रतियोगिता में जीते पदक को अपने सबसे करीब रखती हैं तो उन्होंने कहा, "फिनलैंड (विश्व जूनियर चैम्पियनशिप) की रेस मेरे जीवन में सबसे करीब रहेगी साथ ही एशियाई खेलों का सेमीफाइनल जब वहां बारिश शुरू हो गई थी।"

अगले सीजन में अपने लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर हिमा ने कहा, "मेरे दिमाग में कुछ लक्ष्य हैं। मैं एक-एक कर उन्हें हासिल करूंगी। अब लोगों को मुझसे काफी उम्मीदें हैं और मुझे उन्हें पूरा करना है।"

उन्होंने कहा, "मैंने एशियाई खेलों में 50.79 सेंकेंड का समय निकाला था जो 50.78 से काफी करीब है। मुझे प्रतिस्पर्धा पसंद है। चीजों में सुधार कर और रिकार्ड बनाकर अच्छा लगता है।"

हिमा ने साथ ही भारत के विदेशी कोच गालिना पेट्रोवा बुखारिना की तारीफ की। असम की रहने वाली इस धावक ने कहा, "वह काफी मददगार हैं। वह खुद ओलम्पिक में खेल चुकी हैं। हम कई बार उनके तरीकों को समझ नहीं पाते और बाद में हमें पता चलता है कि वह जो करा रही हैं वो क्यों है। इसलिए हम हर दिन नई चुनौतियों के लिए तैयार रहते हैं।"