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Hindi News खेल अन्य खेल सुनील छेत्री की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन किसी युवा स्ट्राइकर को ढूंढने की जरूरत: कांस्टेनटाइन

सुनील छेत्री की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन किसी युवा स्ट्राइकर को ढूंढने की जरूरत: कांस्टेनटाइन

 भारतीय टीम संयुक्त अरब अमीरात में जनवरी 2019 में होने वाले एएफसी एशियाई कप की तैयारियों के अंतर्गत 17 नवंबर को जोर्डन के खिलाफ मैत्री अभ्यास मैच खेलने के लिये गुरूवार को रवाना होगी।

सुनील छेत्री की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन किसी युवा स्ट्राइकर को ढूंढने की जरूरत: कांस्टेनटाइन - India TV Hindi Image Source : PTI सुनील छेत्री की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन किसी युवा स्ट्राइकर को ढूंढने की जरूरत: कांस्टेनटाइन   

नई दिल्ली। भारत में स्ट्राइकरों की कमी से निराश राष्ट्रीय फुटबाल टीम के मुख्य कोच स्टीफन कांस्टेनटाइन ने बुधवार को यहां सीनियर खिलाड़ियों से किसी भी तरह के मतभेदों को खारिज करते हुए कहा कि कप्तान सुनील छेत्री की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन किसी युवा स्ट्राइकर को ढूंढने की जरूरत है। भारतीय टीम संयुक्त अरब अमीरात में जनवरी 2019 में होने वाले एएफसी एशियाई कप की तैयारियों के अंतर्गत 17 नवंबर को जोर्डन के खिलाफ मैत्री अभ्यास मैच खेलने के लिये गुरूवार को रवाना होगी। इससे पहले टीम ने अक्टूबर में मजबूत टीम चीन के साथ गोलरहित ड्रा खेला था। लेकिन टीम के स्टार स्ट्राइकर सुनील छेत्री चोटिल होने के कारण इस मुकाबले में नहीं खेल पायेंगे। 

कांस्टेनटाइन ने यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘सुनील का नहीं खेलना हमारे लिये झटका है, वह शानदार प्रतिभाशाली खिलाड़ी है और मेरे साथ पिछले चार वर्षों में मेरे लिये सबसे ज्यादा गोल किये हैं। मुझे नहीं लगता कि उनकी जगह कोई ले सकता है। लेकिन किसी युवा खिलाड़ी को आगे आना होगा। हमें निश्चित रूप से अब ऐसा कोई खिलाड़ी ढूंढना होगा और अब ऐसा करना बेहतर होगा, जब तक वह खेल रहा है जिससे वह अपना अनुभव प्रदान कर सकेगा। हमें उसकी कमी नहीं खले, इसके लिये किसी युवा स्ट्राइकर को ढूंढना होगा।’’ कांस्टेनटाइन आई लीग फुटबाल टूर्नामेंट और इंडियन सुपर लीग में विदेशी स्ट्राइकरों को खिलाने से भी खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि भारत को अच्छे स्ट्राइकर चाहिए तो इन विदेशी फारवर्ड को खिलाना बंद कर देना चाहिए। 

क्या यह संकेत हैं कि अब सुनील की भारतीय टीम में मौजूदगी कम होने लगेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा कोई संकेत नहीं दे रहा। वह 36 साल का हो गया है, कभी न कभी वह रूकेगा। हमेशा वह टीम के साथ नहीं रह सकता। देश में स्ट्राइकरों की कमी है, भले ही आई लीग हो या इंडियन सुपर लीग, सभी विदेशी स्ट्राइकरों को खिला रहे हैं। ’’ 

रिपोर्ट के अनुसार सुनील और कांस्टेनटाइन के बीच मतभेद चल रहे थे और सीनियर खिलाड़ी उनसे खुश नहीं थे, उन्होंने अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) में भी इसकी शिकायत की थी। हालांकि भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है, टीम को पिछले 14 अंतरराष्ट्रीय मैचों में हार का मुंह नहीं देखना पड़ा है और उनके कार्यकाल के दौरान टीम ने रैंकिंग में भी अच्छा सुधार किया है। 

कांस्टेनटाइन ने सीनियर खिलाड़ियों से मतभेदों की खबरों को पहले भी खारिज किया है और फिर से एक सिरे से खारिज करते हुए कहा, ‘‘इस तरह की बकवास मत कीजिये। वह (सुनील) चोटिल है, वह जोर्डन के खिलाफ नहीं खेल सकता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सुनील की जगह कोई नहीं ले सकता। लेकिन किसी को स्ट्राइकर के तौर पर तैयार होना होगा। क्या आप इंग्लैंड की टीम से वेन रूनी की जगह किसी को दे सकते हो? ’’ 

कांस्टेनटाइन ने कहा, ‘‘अगर कोई मेरी शिकायत कर रहा है और वह जैसा हम चाहते है, वैसा नहीं खेल रहा तो इस शिकायत का कोई मतलब नहीं। राष्ट्रीय टीम के लिये खेलना बहुत बड़ी बात है, उस खिलाड़ी को अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी। मैंने 10 खिलाड़ियों से शुरूआत करते हुए खिलाड़ियों का एक ग्रुप तैयार किया है जिसके लिये मुझे एआईएफएफ, एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, महासचिव कुशल दास से पूरा सहयोग मिला है।’’ 

इंग्लैंड के इस कोच ने जोर्डन के खिलाफ मुकाबले के बारे में कहा, ‘‘हम एएफसी एशियाई कप के लिये अच्छी तैयारी करना चाहते हैं और जोर्डन के खिलाफ मुकाबला अच्छा होगा जिसमें काफी अच्छे खिलाड़ी हैं। हमें एएफसी एशियाई कप में होने वाले दबाव का सामना करने के लिये जोर्डन जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ खेलना चाहिए। चीन के खिलाफ भी मैच ऐसा ही था। लेकिन अभी हमारा ध्यान जोर्डन के खिलाफ मैच पर ही है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हमें ओमान के खिलाफ भी मैच खेलना है और दिसंबर में एक अन्य मैच पर फैसला नहीं हुआ है।’’ एएफसी एशियन कप में भारत को ड्रा में ग्रुप ए में मेजबान संयुक्त अरब अमीरात, थाईलैंड और बहरीन के साथ रखा गया है। टीम छह जनवरी को शुरूआती मैच में थाईलैंड से भिड़ेगी। 

उन्होंने कहा, ‘‘हम एएफसी एशियाई कप में आने के हकदार थे और हम 28 खिलाड़ियों के साथ अबुधाबी जायेंगे जिसमें से पांच खिलाड़ियों को बाहर कर देंगे।’’
कांस्टेनटाइन मानते हैं कि देश की लीगों का स्तर अंतरराष्ट्रीय स्तर के हिसाब से मुफीद नहीं है क्योंकि क्लब से जब खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में आता है तो उसे पहले तैयार करना पड़ता है जबकि कई यूरोपीय क्लब ऐसे हैं जिनका स्तर राष्ट्रीय टीम से भी बेहतर है जिससे उन्हें खेल की तकनीक पर नहीं बल्कि उनकी चोटों पर ध्यान देना होता है।