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देहाती खेल से अमीर लोगों की पसंद बना कबड्डी

कोलकाता: भारतीय कबड्डी टीम ने पिछले एक दशक में गजब का प्रदर्शन किया है, लेकिन इस दौरान टीम को अपेक्षित ख्याति प्राप्त नहीं हुई। स्वदेशी खेल ने देश को चौतरफा पहचान दिलाई है लेकिन अब

इस खेल को पहले देहाती खेल कहा जाता था और शहर के लोगों के योग्य नहीं माना जाता था, लेकिन अब कबड्डी बड़े घरानों के ड्रॉइंग रूम में चर्चा का विषय बन गया है। 2014 में एशियाई खेलों के फाइनल में भारत ने ईरान को 27-25 से हराते हुए लगातार सातवीं बार सोना जीता था। यह कीर्तिमान भारतीय हॉकी टीम के द्वारा 1928 से 1952 के बीच ओलंपिक की जीतों से भी बेहतर है, तब भारतीय हॉकी टीम ने 5 लगातार मेडल जीते थे।

हाल ही के सालों में करीबी मैच भी देखने को मिले हैं जिससे मालूम पड़ता है कि दूसरे देश भी इस खेल में अपनी पैठ बनाने के लिए आतुर हैं। भारतीय कबड्डी महासंघ के सचिव दिनेश पटेल ने कहा कि पिछले सालों में कई देशों ने इस खेल में अपने हाथ आजमाए हैं और उनमें से कुछ देश काफी बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं। अब यह खेल ओलंपिक का अंग बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह खेल अब पहचान बन चुका है और सब कहीं खेला जाता है।