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Hindi News खेल अन्य खेल एशियन गोल्ड मेडलिस्ट हकम भट्टल के इलाज के लिए खेल मंत्रालय ने दिए 10 लाख, हरभजन सिंह ने भी जीता दिल

एशियन गोल्ड मेडलिस्ट हकम भट्टल के इलाज के लिए खेल मंत्रालय ने दिए 10 लाख, हरभजन सिंह ने भी जीता दिल

एशियन गोल्ड मेडलिस्ट और ध्यानचंद अवॉर्ड पाने वाले हकम भट्टल के इलाज के लिए खेल मंत्रालय ने 10 लाख रुपए देने की घोषणा की है।

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संगरूर। एशियन गोल्ड मेडलिस्ट और ध्यानचंद अवॉर्ड पाने वाले हकम भट्टल के इलाज के लिए खेल मंत्रालय ने 10 लाख रुपए देने की घोषणा की है। हकम भट्टल किडनी और लिवर की गंभीर बीमारी के बीच संघर्ष कर रहे हैं। आर्थिक परेशानियों के कारण हकम सिंह के परिवार को उनके इलाज के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अब खेल मंत्रालय ने हकम भट्टल के लिए बड़ा कदम उठाया है। आपको बता दें कि इससे पहले हकम सिंह की मदद के लिए भारतीय गेंदबाज हरभजन सिंह भी आगे आए।

मंगलवार को हरभजन सिंह ने एक न्यूज एजेंसी की खबर को रीट्वीट करते हुए हकम सिंह के परिवार का नंबर मांगा। हरभजन द्वारा हकम सिंह का नंबर मांगने पर यह उम्मीद है कि अब शायद उन्हें इलाज में मदद मिल जाए। हरभजन के अलावा आरपी सिंह ने भी हकम सिंह की मदद के लिए उनका कॉन्टैक्ट नंबर और बैंक डीटेल्स मांगे। 

इसके अलावा खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भी एएनआई की खबर को रिट्वीट करते हुए लिखा, "मैंने हवलदार हकम भट्टल के इलाज के लिए 10 लाख रुपए तत्काल देने का आदेश दिया है। भारतीय खेल अधिकारी उनसे मिले हैं और हम उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। मैं उनके जल्दी ठीक होने की कामना करता हूं। हमें अपने नायकों के साथ खड़े होने पर गर्व है।"

1978 में बैंकॉक एशियन गेम्स में और 1979 में, जापान (टोक्यो),  एशियन ट्रेक एंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले हकम भट्टल को 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने स्पोर्ट्स एंड गेम्स में उपलब्धियों के लिए ध्यान चंद अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

आपको बता दें कि देश के लिए मेडल जीतने वाले हकम भट्टल भारतीय सेना का भी हिस्सा रहे हैं। उन्होंने 1972 में 6 सिख रेजिमेंट में हवलदार के तौर पर ज्वाइन किया था। 1981 में एक चोट के कारण हकम भट्टल ने खेलना छोड़ दिया था। 1987 में सेना से रिटायर होने के बाद पंजाब पुलिस ने 2003 में उन्हें एथलेटिक्स कोच के तौर पर कॉन्स्टेबल रैंक की नौकरी दे दी। यहां से वह 2014 में रिटायर हुए। इसके बाद से उनका खर्च पेंशन से चल रहा था, लेकिन अब गंभीर बीमारी की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।