A
Hindi News खेल अन्य खेल फीफा ने मैच में 3 की बजाय 5 सब्सटीट्यूट खिलाड़ियों के इस्तेमाल की दी मंजूरी

फीफा ने मैच में 3 की बजाय 5 सब्सटीट्यूट खिलाड़ियों के इस्तेमाल की दी मंजूरी

कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया में फुटबॉल मैचों के आयोजन पर रोक लगी हुई है। इस बीच फीफा ने फुटबॉल के नियमों में एक बड़ा बदलाव कर दिया है।

<p>फीफा ने मैच में 3 की...- India TV Hindi Image Source : GETTY IMAGES फीफा ने मैच में 3 की बजाय 5 सब्सटीट्यूट खिलाड़ियों के इस्तेमाल की दी मंजूरी

कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया में फुटबॉल मैचों के आयोजन पर रोक लगी हुई है। इस बीच फीफा ने फुटबॉल के नियमों में एक बड़ा बदलाव कर दिया है। फीफा ने कोविड-19 के बाद गर्मी के माहौल और व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए इस साल टीमों को प्रत्येक मैच में तीन के बजाय पांच सब्सटीट्यूट रखने की मंजूरी दे दी है। फीफा ने एक बयान में ये जानकारी दी।

बयान में कहा, "जो प्रतियोगिताएं या तो शुरू हो गई हैं या फिर शुरू होना चाहती हैं, और 31 दिसंबर, 2020 तक पूरा होने वाली हैं, उनके लिए आईएफएबी ने कानून तीन में एक अस्थायी संशोधन के फीफा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत इस साल टीमों को प्रत्येक मैच में तीन के बजाय पांच सब्सटीट्यूट रखने की अनुमति होगी।"

फीफा के बयान में आगे कहा गया है कि यह नियम सभी प्रतियोगिताओं में लागू होगा, जोकि इस साल के अंत तक खत्म होने वाली हैं। यह प्रतियोगिताओं के आयोजकों पर निर्भर करेगा कि इसे लागू किया जाए या नहीं। फीफा ने कहा, "अस्थायी संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होगा। मैच अलग अलग परिस्थितियों में खेला जा सकता है और इससे खिलाड़ियों पर प्रभाव पड़ सकता है।" फीफा ने साथ ही कहा कि जिन प्रतियोगिताओं में वीडियो असिस्टेंट रेफरी (वीएआर) इस्तेमाल होता है, वहां यह कायम रहेगा।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया में  फुटबॉल गतिविधियां स्थगित हैं। इंग्लिश प्रीमियर लीग कोविड-19 महामारी के कारण 13 मार्च से ही स्थगित है और इसके दोबारा शुरू होने को लेकर भी अनिश्चितताएं बनी हुई है। हालांकि जर्मनी की फुटबॉल लीग को 16 मई से शुरु करने की मंजूरी मिल गई है। वहीं, साउथ कोरिया की फुटबॉल की लीग 'के लीग' का शुक्रवार (8 मई) से नए सीजन का आगाज हो गया। इस लीग के मैच खाली स्टेडियम में खेले जा रहे हैं और इसका प्रसारण इंग्लैंड, ब्रिटेन और जर्मनी समेत करीब 36 देशों में किया जा रहा है।

(With IANS Inputs)