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Hindi News उत्तर प्रदेश रमजान के बाद शुरू होगा अयोध्या मस्जिद का निर्माण, क्या-क्या बनेगा, क्या रखा जाएगा नाम? जानें यहां

रमजान के बाद शुरू होगा अयोध्या मस्जिद का निर्माण, क्या-क्या बनेगा, क्या रखा जाएगा नाम? जानें यहां

IICF के सचिव अतहर हुसैन ने कहा, "हम रमजान के बाद एक बैठक बुलाएंगे, जहां हम निर्माण शुरू करने की योजना को अंतिम रूप देंगे। उसी बैठक में हम मस्जिद परिसर का निर्माण शुरू करने की अंतिम तिथि भी तय करेंगे।

अयोध्या की मस्जिद का निर्माण- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO अयोध्या की मस्जिद का निर्माण

उत्तर प्रदेश: अयोध्या में मस्जिद का निर्माण रमजान के पवित्र महीने के बाद शुरू होने की संभावना है। अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में धन्नीपुर गांव में मस्जिद परिसर के लेआउट को मंजूरी दे दी है। जिला मजिस्ट्रेट और एडीए के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा, "अयोध्या की मस्जिद एवं जटिल परियोजना के लिए सभी लंबित मंजूरी को हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में मंजूरी दे दी गई है। कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अगले कुछ दिनों में मस्जिद के स्वीकृत लेआउट को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (एससीडब्ल्यूबी) को सौंप दिया जाएगा।"

रमजान के बाद बुलाई जाएगी बैठक

एससीडब्ल्यूबी ने कहा है कि वह इस संदर्भ में रमजान के बाद एक बैठक बुलाएगा। धन्नीपुर में निर्माण की देखरेख के लिए एससीडब्ल्यूबी द्वारा गठित ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के सचिव अतहर हुसैन ने कहा, "हम रमजान के बाद एक बैठक बुलाएंगे, जहां हम निर्माण शुरू करने की योजना को अंतिम रूप देंगे। उसी बैठक में हम मस्जिद परिसर का निर्माण शुरू करने की अंतिम तिथि भी तय करेंगे।" रमजान का महीना 22 मार्च से शुरू होकर 21 अप्रैल को समाप्त होने की संभावना है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या में उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण की अनुमति दी, जहां 16वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद थी और जिसे कारसेवकों द्वारा गिराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसी फैसले में सरकार से बाबरी मस्जिद के बदले मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में प्रमुख और उपयुक्त पांच एकड़ भूखंड आवंटित करने को भी कहा था।

'मस्जिद का नाम मुगल सम्राट के नाम पर नहीं' 

एससीडब्ल्यूबी ने कहा है कि वह नई बनने वाली मस्जिद को 16वीं शताब्दी की विवादित संरचना से संबद्ध नहीं करना चाहता, जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। इसलिए मस्जिद का नाम किसी मुगल सम्राट के नाम पर नहीं रखा जाएगा। अतहर हुसैन ने कहा कि मस्जिद एवं परिसर का नाम स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्लाह शाह फैजाबादी के नाम पर रखा जाएगा। इसमें एक मस्जिद, अस्पताल, सामुदायिक रसोई और म्यूजियम शामिल होगा।

'अस्पताल को दो चरणों में स्थापित किया जाएगा'

उन्होंने कहा, "अधिकतम क्षेत्र अस्पताल को आवंटित किया जाएगा। हमारी योजना एक बहु-विशिष्ट अस्पताल विकसित करने की है, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। पूरे अस्पताल को दो चरणों में स्थापित किया जाएगा। पहले चरण में 100 बेड की व्यवस्था की जाएगी, जबकि दूसरे चरण में 100 बेड और जोड़े जाएंगे। अस्पताल कैंसर केयर, प्रत्यारोपण, रीढ़, हृदय, रोबोटिक्स, आथोर्पेडिक्स, आपातकालीन और अन्य में सर्वोत्तम उपचार की पेशकश करेगा।"

ट्रस्ट द्वारा मस्जिद डिजाइन करने के लिए प्रोफेसर एस.एम. अख्तर को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा ट्रस्ट ने प्रसिद्ध इतिहासकार, अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ और भारतीय व्यंजनों के इतिहासकार प्रोफेसर पुष्पेश पंत को अपने अभिलेखीय संग्रहालय के सलाहकार क्यूरेटर के रूप में भी नियुक्त किया है जो मस्जिद परिसर का एक हिस्सा होगा।

2,000 नमाजियों को समायोजित करने की क्षमता 

इस बीच, मस्जिद एक समय में 2,000 नमाजियों को समायोजित करने की क्षमता के साथ आकार में गोलाकार होगी। यह बाबरी मस्जिद से चार गुना बड़ी होगी। अस्पताल परिसर मस्जिद के आकार का छह गुना होगा। मस्जिद 3,500 वर्ग मीटर भूमि पर बनाई जाएगी, जबकि अस्पताल और अन्य सुविधाएं 24,150 वर्ग मीटर के क्षेत्र में होंगी। मस्जिद में बिजली की सभी मांगें सौर पैनलों की मदद से पूरी की जाएंगी और बिजली कनेक्शन नहीं होगा।

परियोजना के लिए योगदान एकत्र करने के लिए अभी तक कोई विस्तृत योजना नहीं है। निर्माण के लिए धन एकत्र करने के लिए दो अलग-अलग बैंक खाते- पहला मस्जिद के लिए और दूसरा अन्य ढांचों के लिए बनाए गए हैं।

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