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Hindi News उत्तर प्रदेश ‘दलित प्रेम तब कहां गया था…’, संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर राजभर का विपक्ष पर बड़ा हमला

‘दलित प्रेम तब कहां गया था…’, संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर राजभर का विपक्ष पर बड़ा हमला

SBSP चीफ ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्ष सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहा है।

Om Prakash Rajbhar, new parliament inauguration, Om Prakash Rajbhar Latest- India TV Hindi Image Source : TWITTER.COM/OPRAJBHAR SBSP सुप्रीमो ओम प्रकाश राजभर।

लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सुप्रीमो ओम प्रकाश राजभर ने नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए जाने को लेकर बड़ा बयान दिया है। राजभर ने कहा है कि इस समय भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, और यह उसकी मर्जी है कि वह किससे उद्घाटन करवाती है। कभी योगी सरकार में मंत्री रहे राजभर ने कहा कि विपक्ष सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहा है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। राजभर ने बीजेपी से अलग होने के बाद समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था और 2023 का विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के साथ मिलकर लड़ा था।

‘विपक्ष के विरोध का कोई मतलब नहीं है’
राजभर ने कहा, ‘नए संसद भवन के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध का कोई मतलब नहीं है। विपक्ष सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। इस समय बीजेपी सत्ता में है, वह राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री किसी से भी उद्घाटन करवाए, यह उनका फैसला है। मुझे कोई न्योता देगा तो मैं भी संसद भवन के उद्घाटन समारोह में जाऊंगा, लेकिन मुझे कोई न्यौता नहीं मिला है।’ विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए राजभर ने पूछा कि ‘दलित प्रेम तब कहां गया था जब राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू जी की जगह यशवंत सिन्हा जी का सपोर्ट कर रहे थे।’

‘अभी हमसे किसी ने समर्थन नहीं मांगा है’
आगामी विधान परिषद चुनाव में किस पार्टी को समर्थन देंगे, इस सवाल पर राजभर ने कहा, ‘विधान परिषद चुनाव में पार्टी के लोगों के साथ बात करेंगे फिर कोई फैसला करेंगे। अभी हमसे किसी ने समर्थन नहीं मांगा है। पार्टी के फैसले के बाद कुछ तय करेंगे।’ बता दें कि ओम प्रकाश राजभर पूर्वांचल में पिछड़ों के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश के साथ उनके गठबंधन ने पूर्वांचल में बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाया था, हालांकि चुनावों के कुछ समय बाद ही सपा और सुभासपा का गठबंधन खटाई में पड़ गया था।