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Hindi News उत्तर प्रदेश आजम खान को डूंगरपुर मामले में 7 साल की सजा, इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी लगा तगड़ा झटका

आजम खान को डूंगरपुर मामले में 7 साल की सजा, इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी लगा तगड़ा झटका

समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता आजम खान को रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। बाकी दोषियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है।

समाजवादी पार्टी नेता आजम खान- India TV Hindi Image Source : FILE-PTI समाजवादी पार्टी नेता आजम खान

समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता आजम खान को रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। बाकी दोषियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने यह सजा डूंगरपुर मामले में सुनाई। कोर्ट ने IPC धारा 427,504,506,447 और 120 B के तहत आजम खान को दोषी करार दिया था।

इन्हें भी हुई पांच-पांच साल की सजा

इस मामले में आजम खान, पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर अहमद खां, ठेकेदार बरकत अली, रिटायर्ड सीओ आले हसन दोषी पाए गए हैं। आज चोरों को सज़ा हुई। इस दौरान आजम खान की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीतापुर जेल से पेशी हुई।

क्या है पूरा मामला

सपा शासनकाल में डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे। इस जगह पर पहले से कुछ लोगों के मकान बने हुए थे। आरोप था कि सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में तोड़ दिया गया था। इस मामले में पीड़ितों ने लूटपाट का आरोप भी लगाया था। वर्ष 2019 में भाजपा सरकार आने पर रामपुर के गंज थाने में इस मामले में करीब एक दर्जन अलग-अलग मुकदमें दर्ज कराए गए थे। आरोप लगाया कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस ने आसरा आवास बनाने के लिए उनके घरों को जबरन खाली कराया था। वहां पहले से बने मकानों पर बुलडोजर भी चलवाकर ध्वस्त कर दिया गया था।

 इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी लगा झटका

जेल में बंद सपा नेता आज़म खान को जौहर ट्रस्ट की जमीन लीज मामले में  इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की चुनौती वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। ट्रस्ट ने यूपी सरकार के लीज को रद्द करने वाले फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी चुनौती थी। जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने यूपी सरकार के ट्रस्ट की लीज को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है। 

ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की रिट याचिका में विश्वविद्यालय से जुड़े लीज डीड को रद्द करके भूमि को जब्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनौती दी गई थी। यूपी सरकार की तरफ से इस मामले में दाखिल एसआईटी रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तत्काल प्रवेश की याचिका सूचीबद्ध करने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की थी।  

इनपुट-आमिर और इमरान