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बंगाल में ‘यास’ से बड़ा नुकसान, तीन लाख मकान क्षतिग्रस्त, एक करोड़ लोग प्रभावित

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया कि चक्रवात ‘यास’ के कारण मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से राज्य में कम से कम एक करोड़ लोग प्रभावित हुए और तीन लाख मकान क्षतिग्रस्त हुए।

Cyclone Yaas: Three lakh houses damaged, one crore people affected in Bengal- India TV Hindi Image Source : PTI ममता बनर्जी ने बताया कि ‘यास’ के कारण कम से कम एक करोड़ लोग प्रभावित हुए और तीन लाख मकान क्षतिग्रस्त हुए।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया कि चक्रवात ‘यास’ के कारण मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से राज्य में कम से कम एक करोड़ लोग प्रभावित हुए और तीन लाख मकान क्षतिग्रस्त हुए। बनर्जी ने बताया कि मछलियां पकड़ने गए एक व्यक्ति की दुर्घटनावश मौत हो गई। बनर्जी ने लोगों को सचेत किया कि तूफान के कारण समुद्र में ऊंची लहरें उठती रहेंगी। उन्होंने दावा किया कि बंगाल चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 15,04,506 लोगों को संवेदनशील स्थानों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। 

ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं पूर्व मेदिनीपुर, दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना जिलों में प्रभावित इलाकों का जल्द ही हवाई सर्वेक्षण करूंगी।’’ उन्होंने बताया कि अभी सरकार के पास चक्रवात के कारण हुए नुकसान संबंधी प्रारंभिक आंकड़े हैं। बनर्जी ने कहा कि नुकसान संबंधी सटीक जानकारी मिलने में कम से कम 72 घंटे लगेंगे। 

चक्रवात ‘यास’ के कारण नदियों में जलस्तर बढ़ने से पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना के कई इलाकों में बुधवार को पानी भर गया तथा नारियल के पेड़ों के शिखरों को छूतीं समुद्र की लहरें और बाढ़ के पानी में बहती कारें दिखाई दीं। चक्रवात के कारण समुद्र में दो मीटर से अधिक ऊंची लहरें उठीं और पूर्वी मेदिनीपुर में दीघा एवं मंदारमणि और दक्षिण 24 परगना में फ्रेजरगंज और गोसाबा चक्रवात से प्रभावित हुए।

‘यास’ के बुधवार सुबह करीब नौ बजे तट पर टकराने के साथ ही उत्तरी ओडिशा एवं पड़ोसी पश्चिम बंगाल में भीषण चक्रवाती तूफान ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया जहां इस दौरान 130-140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य पुलिस एवं स्वयंसेवक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।

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