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Hindi News पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी 5 मई को तीसरी बार लेंगी CM पद की शपथ, राज्यपाल से की मुलाकात

ममता बनर्जी 5 मई को तीसरी बार लेंगी CM पद की शपथ, राज्यपाल से की मुलाकात

सोमवार को ममता बनर्जी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। ममता बनर्जी 5 मई को लगातार तीसरी बार बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी।

5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी ममता बनर्जी, शाम 7 बजे राज्यपाल से करेंगी मुलाकात- India TV Hindi Image Source : PTI FILE PHOTO 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी ममता बनर्जी, शाम 7 बजे राज्यपाल से करेंगी मुलाकात

नई दिल्ली/कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है और लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता अपने पास बरकरार रखी है। सोमवार को ममता बनर्जी को टीएमसी विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। 5 मई को लगातार तीसरी बार ममता बनर्जी बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। वहीं 6 मई को बंगाल के बाकी मंत्री शपथ लेंगे। टीएमसी के विमान बंदोपाध्याय विधानसबा अध्यक्ष होंगे। बता दें कि, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बंगाल विधानसभा चुनाव में 213 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि भाजपा 77 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। 

पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि नव-निर्वाचित विधायकों ने यहां हुई बैठक में बनर्जी को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया। तृणमूल विधायकों ने मौजूदा विधानसभा के अध्यक्ष विमान बनर्जी को नयी विधानसभा का कार्यवाहक अध्यक्ष चुना है। चटर्जी ने विधायकों की बैठक के बाद यहां पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से कहा, ''नव-निर्वाचित सदस्य छह मई को विधानसभा में शपथ लेंगे।'' 

राज्यपाल से मिलने पहुंचीं ममता बनर्जी 

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के बाद पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार शाम 7 बजे राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। सत्तारूढ़ तृणमूल ने 292 सीट में से 212 सीट जीतीं हैं। राज्य में मार्च और अप्रैल में आठ चरण में मतदान हुआ था। रविवार को शुरू हुई मतगणना अभी जारी है, जिसके अनुसार तृणमूल एक और सीट पर आगे चल रही है। भाजपा 77 सीट जीतकर बड़ा विपक्षी दल बनी है। बनर्जी ने लगातार दूसरी बार राज्य विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से पार्टी को जीत दिलाई है। राज्यपाल धनखड़ ने रविवार को ट्वीट किया था, ‘‘कल शाम सात बजे माननीय मुख्यमंत्री राजभवन में मुझसे मुलाकात करेंगी।’’

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जानिए बंगाल चुनाव का परिणाम

निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित अंतिम परिणाम के अनुसार टीएमसी को 292 विधानसभा सीटों में से 213 पर जीत हासिल हुई है जो बहुमत के जादुई आंकड़े से भी कहीं अधिक है। वहीं, इस विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक देने वाली भाजपा 77 सीटों पर विजयी रही है। इसके साथ ही राष्ट्रीय सेकुलर मजलिस पार्टी के चिह्न पर चुनाव लड़ने वाली आईएसएफ को एक सीट मिली है तथा एक निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत दर्ज करने में सफल रहा है।

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की कुल 294 सीटों में नतीजे घोषित-292 किए गए हैं। दो सीटों पर चुनाव रद्द कर दिए गए थे। तृणमूल कांग्रेस- 213 भारतीय जनता पार्टी- 77 निर्दलीय-1 राष्ट्रीय सेकुलर मजलिस पार्टी-1 सीट जीती हैं। 

तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार 2016 के विधानसभा चुनाव से भी बेहतर रहा जब इसे 211 सीट मिली थीं। यद्यपि भाजपा राज्य की सत्ता से ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंकने में सफल नहीं हो पाई, लेकिन यह पहली बार है जब वह बंगाल में मुख्य विपक्षी दल बन गई है। भाजपा को 2016 के विधानसभा चुनाव में महज तीन सीट मिली थीं। राज्य में दशकों तक शासन करनेवाले वाम मोर्चा और कांग्रेस का इस बार खाता भी नहीं खुला है तथा आईएसएफ के साथ उनके गठबंधन को आठ प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं।

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नंदीग्राम में ममता बनर्जी को करना पड़ा हार का सामना 

निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कहा कि रविवार को सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना सोमवार रात लगभग 1.55 बजे पूरी हुई। दो निर्वाचन क्षेत्रों-जांगीपुर और समसरेगंज में प्रत्याशियों के कोविड-19 की चपेट में आने के बाद मतदान टाल दिया गया था। इस तरह राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा की 292 सीटों पर मतदान हुआ। अपनी पार्टी की जीत से गदगद बनर्जी को हालांकि नंदीग्राम में खुद हार का सामना करना पड़ा। वह पूर्व में अपने विश्वासपात्र रहे और इस बार भाजपा में शामिल हुए कद्दावर नेता शुभेन्दु अधिकारी से 1,956 मतों के अंतर से हार गईं। अधिकारी को छोड़कर, तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए राजीब बनर्जी, रुद्रनील घोष, बैशाली डालमिया, शीलभद्र दत्ता और सब्यसाची दत्ता को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार और निसित प्रामाणिक क्रमश: शांतिपुर और दिनहाता से जीतने में सफल रहे, लेकिन लॉकेट चटर्जी, स्वपन दासगुप्ता और बाबुल सुप्रियो जैसे नेता विजयी नहीं हो पाए। 

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