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Hindi News पश्चिम बंगाल ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, आपराधिक मामलों में फंसे बीजेपी नेताओं को अंतरिम संरक्षण दिया

ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, आपराधिक मामलों में फंसे बीजेपी नेताओं को अंतरिम संरक्षण दिया

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। बीजेपी और टीएमसी के बीच जारी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है।

Supreme Court grants interim protection to BJP leaders facing criminal cases in West Bengal- India TV Hindi Image Source : PTI बीजेपी और टीएमसी के बीच जारी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है।

नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। बीजेपी और टीएमसी के बीच जारी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि ​ममता बनर्जी सरकार जानबूझकर उनके खिलाफ नए-नए मामले दर्ज कर रही है। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज आपराधिक मामलों में अंतरिम संरक्षण प्रदान किया और राज्य की पुलिस को निर्देश दिया कि इन नेताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाये। 

बीजेपी के इन नेताओं में मुकुल रॉय के अलावा दो सांसद कैलाश विजयवर्गीय और अर्जुन सिंह भी शामिल हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने इन नेताओं की याचिकाओं पर पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है। पीठ इस मामले में अब जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा कि इन नेताओं को प्रदत्त अंतरिम संरक्षण इन याचिकाओं की सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेगा। 

इन नेताओं ने अलग अलग दायर याचिकाओं में आरोप लगाया है कि विधान सभा चुनावों से संबंधित राजनीतिक गतिविधियों से उन्हें दूर रखने के लिये उन पर आपराधिक मामले थोपे जा रहे हैं। मुकुल रॉय, विजयवर्गीय और सिंह के अलावा बीजेपी के दो अन्य नेताओं पवन कुमार सिंह और सौरव सिंह ने भी राज्य में उनके खिलाफ दर्ज मामलों में संरक्षण के लिये न्यायालय में याचिका दायर की हैं। 

न्यायालय ने इन नेताओं को अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुये गृह मंत्रालय से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पश्चिम बंगाल बीजेपी नेता कबीर शंकर बोस के सुरक्षाकर्मियों के बीच हुयी झड़प के बारे में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है। कबीर शंकर बोस ने न्यायलाय में अलग से याचिका दायर की है।

इस मामले की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अर्जुन सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद से 2019 में उनके खिलाफ 64 मामले दर्ज किये जा चुके हैं। रोहतगी ने कहा, ‘‘मैं एक सांसद हूं और यह मामले मेरे टीएमसी छोड़ने के बाद दर्ज किये गये हैं। अर्जुन सिंह के खिलाफ पहला मामला 24 मार्च, 2019 को उनके टीएमसी छोड़ने के बाद दर्ज हुआ।’’ 

विजयवर्गीय के वकील ने पीठ से कहा कि वह मध्य प्रदेश से सांसद हैं और पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये गये हैं। विजयवर्गीय के वकील ने कहा, ‘‘मैं मध्य प्रदेश से सांसद हूं और सिर्फ इसलिए कि मैं पार्टी के काम से पश्चिम बंगाल जा रहा हूं, मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर लिये गये हैं।’’ बीजेपी नेताओं ने पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच किसी स्वतंत्र एजेन्सी से कराने का अनुरोध किया है।