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ऑस्ट्रेलिया में शक्तिशाली भूकंप से हिली धरती, 7.1 होती है बेहद खतरनाक तीव्रता

यूएसजीएस के नवीनतम अपडेट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जमीन के भीतर 36 किमी की गहराई में 3.062 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 170.456 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था।

ऑस्ट्रेलिया में शक्तिशाली भूकंप से हिली धरती, 7.1 होती है बेहद खतरनाक तीव्रता - India TV Hindi Image Source : INDIA TV ऑस्ट्रेलिया में शक्तिशाली भूकंप से हिली धरती, 7.1 होती है बेहद खतरनाक तीव्रता

सिडनी: ऑस्ट्रेलिया में शक्तिशाली भूकंप आया है। ऑस्ट्रेलिया के लॉयल्टी आइलैंड्स के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में शनिवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने कहा कि रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई। वहां शुक्रवार को भी 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएसजीएस के नवीनतम अपडेट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जमीन के भीतर 36 किमी की गहराई में 3.062 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 170.456 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था। यूएसजीएस के अनुसार, रात 1.51 बजे शुरुआती भूकंप के बाद, 6.5 की तीव्रता वाला आफ्टरशॉक रात 2.09 बजे आया।

अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली ने कहा कि फिजी, किरिबाती, वानुआतु और वालिस और फ्यूचूना के तटों पर सामान्य ज्य्वार से 0.3 मीटर की ऊंचाई तक सीमित रहने का अनुमान है। शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद, ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो (बीओएम) ने घोषणा की थी कि लॉर्ड होवे द्वीप के लिए सुनामी की चेतावनी दी गई है। लॉयल्टी आइलैंड्स, न्यू कैलेडोनिया के तीन प्रशासनिक उपखंडों में से एक है, जो पैसिफिक में लॉयल्टी आइलैंड द्वीपसमूह को शामिल करता है, जो ग्रांडे टेरे के न्यू कैलेडोनियन मुख्य भूमि के उत्तर-पूर्व में स्थित है।

ट्स के टकराने से आता है भूकंप

यह धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, जिन्‍हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्‍टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्‍टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्‍लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।

भूंकप का केंद्र और तीव्रता

भूकंप का केंद्र वह जगह होती है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा महसूस होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती है, इसका प्रभाव कम होता जाता है। इसकी तीव्रता का मापक रिक्टर स्केल होता है। रिक्‍टर स्‍केल पर यदि 7 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर की तरफ होती है तो प्रभाव क्षेत्र कम होता है। भूकंप की जितनी गहराई में आता है, सतह पर उसकी तीव्रता भी उतनी ही कम महसूस की जाती है।

क्‍या है रिक्टर स्केल?

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।

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