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नेपाल भूकंप: "...वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे ख़ुदा करे"

काठमांडू: "फ़ानूस बन कर जिसकी हिफ़ाज़त हवा करे, वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे ख़ुदा करे", ये कहावत सच साबित हुई नेपाल में आई त्रासदी में जहां एक 4 महीने की बच्ची को भूकंप के

नेपाल भूकंप: "...वो शमा...- India TV Hindi नेपाल भूकंप: "...वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे ख़ुदा करे"

काठमांडू: "फ़ानूस बन कर जिसकी हिफ़ाज़त हवा करे, वो शमा क्या बुझे, रौशन जिसे ख़ुदा करे", ये कहावत सच साबित हुई नेपाल में आई त्रासदी में जहां एक 4 महीने की बच्ची को भूकंप के 22 घंटे बाद जिंदा पाया गया। शनिवार को आई महा तबाही के 22 घंटे बाद नेपाली सेना के जवानों ने सोमवार को 4 महीने की बच्ची को जिंदा बचाया।

नेपाल की न्यूज वेबसाइट पूर्वेली न्यूज के मुताबिक राजधानी काठमांडू से पांच किलोमीटर दूर भक्तपुर में सेना की टीम मलबे में दबे लोंगो को निकाल रही थी। वहीं जवानों ने एक चार महीने की बच्ची को भी मलबे के बीच पाया और उसे सकुशल बाहर निकाला। हैरानी की बात ये थी कि उस बच्ची की सांसे चल रही थी।

बच्चे को जल्द से जल्द भक्तपुर के अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी हालत सामान्य बताई गई।

ये लोंग भी निकले खुशनसीब-

गौरतलब है कि नेपाल में राहत कार्यों के दौरान करीब तीन दिन बाद एक 54 वर्षीय महिला को जिंदा बचा लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ काठमांडू में 84 घंटे बाद एक शख्स को मलबे से जिंदा बाहर निकाल लिया गया था। पीड़ित गोंगबू इलाके में सात मंजिला इमारत के मलबे में दबा हुआ था। नेपाली-फ्रेंच सर्च एंड रेस्क्यू टीम ने ध्वस्त हुए अपार्टमेंट के मलबे के नीचे दबे हुए 28 वर्षीय युवक ऋषि खनाल को मंगलवार को जिंदा बचा लिया।

खबरों के मुताबिक इन 84 घंटों के दौरान ऋषि के पास खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं था। जिस वक्त भूकंप आया, ऋषि सात मंजिले इमारत के दूसरे खंड में था। हालांकि, इमारत गिर गई थी, लेकिन ऊपर की मंजिले सलामत बची रहीं। इसके साथ ही कमरे में तीन शव भी पड़े हुए थे। उसका इलाज करने वाले डॉक्टर अखिलेश श्रेष्ठा ने बताया कि ऐसा लगता है कि वह अपनी तीव्र इच्छा शक्ति के कारण ही जिंदा बचा रह पाया।

अभी तक कितनों की मौत-

नेपाल में शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप से हजारों इमारतें तबाह हो गई हैं। हादसे में 5000 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 80 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं।

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