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चीन के वुहान में हजारों लोगों ने की बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के पूल पार्टी

चीन का वुहान शहर जहां से कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई थी वहां एक विशाल इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन किया गया जो कि एक वॉटर पार्क में था।

China: Pool Party in Wuhan’s water park without mask goes viral- India TV Hindi Image Source : AFP China: Pool Party in Wuhan’s water park without mask goes viral

वुहान: चीन का वुहान शहर जहां से कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई थी वहां एक विशाल इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन किया गया जो कि एक वॉटर पार्क में था। जिसमें ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और ना ही कोई मास्क पहने दिखा। वुहान का माया बीच वॉटर पार्क लोगों से खचाखच भरा दिखा जिसमें लोग स्विमसूट्स में कंधे से कंधा मिलाकर संगीत का लुफत उठाते दिखे। 

वुहान के माया बीच वॉटर पार्क को जून के अंत में फिर से खोला गया था, लेकिन एक महीने से अधिक की मौसमी बारिश ने भीड़ को बाहर निकलने से हतोत्साहित किया। कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र अखबार हुबेई डेली ने पार्क में एक प्रबंधक का हवाला देते हुए बताया कि अगस्त की शुरुआत में यहां आने वाले लोगों की संख्या पिछले साल की तुलना में आधी है। वुहान में शहर के रूप में जीवन सामान्य स्थिति में लौट आया है। वुहान में पिछले तीन कोरोना वायरस रोगियों को 5 जून को छुट्टी दे दी गई थी और केंद्रीय चीनी शहर में वायरस के शून्य मामले दर्ज किए गए।

वुहान में कोविड-19 से ठीक हुए 90 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों में खराबी

चीन में महामारी के केंद्र रहे वुहान शहर के हाली ही में एक प्रमुख अस्पताल से ठीक हुए कोविड-19 मरीजों के एक समूह के लिये गए नमूनों में से 90 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचने की बात सामने आई है थी जबकि पांच प्रतिशत मरीज दोबारा संक्रमित पाए जाने के बाद पृथक-वास में हैं। मीडिया में आई खबर में यह जानकारी दी गई थी। 

वुहान विश्वविद्यालय के झोंगनन अस्पताल की गहन देखभाल इकाई के निदेशक पेंग झियोंग के नेतृत्व में एक दल अप्रैल से ही ठीक हो चुके 100 मरीजों को फिर से मिलकर उनके स्वास्थ्य की जांच कर रहा है। एक साल चलने वाले इस कार्यक्रम के पहले चरण का समापन जुलाई में हुआ। अध्ययन में शामिल मरीजों की औसत उम्र 59 साल है। 

सरकारी ग्लोबल टाइम्स की खबर के मुताबिक पहले चरण के नतीजों के मुताबिक 90 प्रतिशत मरीजों के फेफड़े अब भी खराब स्थिति में हैं, जिसका मतलब यह है कि उनके फेफड़ों से हवा के प्रवाह और गैस विनिमय का काम अब तक स्वस्थ लोगों के स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। पेंग के दल ने मरीजों पर छह मिनट टहलने की जांच की । उन्होंने पाया कि बीमारी से ठीक हुए लोग छह मिनट की अवधि में 400 मीटर ही चल सके जबकि स्वस्थ्य लोगों ने इस दौरान 500 मीटर की दूरी तय कर सकते थे। 

बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज मेडिसिन के डोंगझेमिन अस्पताल के डॉक्टर लियांग टेंगशियाओ को उद्धृत करते हुए खबर में कहा गया कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के तीन महीने बाद भी ठीक हो चुके कुछ मरीजों को ऑक्सीजन मशीन की जरूरत पड़ती है। लियांग का दल भी ठीक हो चुके 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों से मिलकर उनके बारे में जानकारी जुटाने के काम में लगा है। नतीजों में यह भी सामने आया कि नये कोरोना वायरस के खिलाफ बनी एंटीबॉडीज भी 100 मरीजों में से 10 फीसदी में अब नहीं थीं। 

खबर में कहा गया कि कोविड-19 न्यूक्लीइक एसिड जांच में उनमें से पांच प्रतिशत के नतीजे नकारात्मक मिले लेकिन इम्यूनोग्लोबुलिन एम (आईजीएम) जांच में उनमें संक्रमण मिला जिसके बाद उन्हें फिर से पृथक-वास में जाना पड़ा। जब कोई विषाणु हमला करता है तो प्रतिरोधी तंत्र द्वारा आम तौर पर सबसे पहली एंटीबॉडी आईजीएम बनती है। आईजीएम जांच में सकारात्मक नतीजे मिलने का आशय आम तौर पर यह है कि व्यक्ति अभी विषाणु से संक्रमित हुआ ही है। 

यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि क्या इसका मतलब यह है कि ये लोग फिर से संक्रमित हो गए हैं। पेंग ने कहा, “यह नतीजे दिखाते हैं कि मरीजों के प्रतिरोधी तंत्र अब भी ठीक हो रहे हैं।” खबर में कहा गया कि मरीज अवसाद और कलंक की भावना से जूझ रहे हैं। ठीक हो चुके अधिकतर मरीजों ने बताया कि उनके परिवारवाले अब भी एक मेज पर बैठकर उनके साथ खाना खाने के इच्छुक नहीं थे। इसमें कहा गया कि ठीक हो चुके मरीजों में से आधे से कम ही काम पर लौटे। यह नतीजे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण सबसे पहले वुहान में ही सामने आया था। 

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