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बेकसूर चीनी महिला को जापानी सैनिकों ने दी थी दर्दनाक मौत

बीजिंग: इतिहास गवाह है कि अधिकांश विजेता देशों ने पराजित राष्ट्र की जनता के साथ क्रूर-से-क्रूर व्यवहार किया। ऐसा ही दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापानी सैनिकों ने चीनी महिला व पुरुषों के साथ किया। जापानी सेना

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बीजिंग: इतिहास गवाह है कि अधिकांश विजेता देशों ने पराजित राष्ट्र की जनता के साथ क्रूर-से-क्रूर व्यवहार किया। ऐसा ही दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापानी सैनिकों ने चीनी महिला व पुरुषों के साथ किया।

जापानी सेना के भयावह कारनामे अब एक-एक कर सामने आ रहे हैं। एक और जापानी युद्ध अपराधी का इकरारनामा सामने आया है, जिसमें उसने चीनी नागरिकों पर भयावह जुल्म की बात मानी है।

जापानी सैनिकों के हाथ से लिखे इन इकरारनामों को चीन का अभिलेखागार प्रशासन जारी कर रहा है। ऐसा ही एक इकरारनामा मसाओ कनाजावा का है।

कनाजावा को 1943 में शानदोंग में जापानी सेना ने तैनात किया था। अगस्त 1945 में पकड़े जाने तक वह जापानी सेना का हिस्सा था।

कनाजावा ने लिखा है, "रिझाओ काउंटी में वह एक घर में घुसा। बिस्तर पर 60 साल की एक बीमार महिला लेटी थी। उसने महिला के कपड़े उतार दिए और उसकी योनि में एक काफी बड़ा स्वीट पोटैटो डाल दिया। बहुत ज्यादा खून निकलने की वजह से वह मर गई।"

कनाजावा ने बताया, "मैंने एक किसान को बहुत ज्यादा पानी पिलाया। जब पेट फूल गया तो मैं उस पर कूदने लगा। किसान एक घंटे में मर गया।"

मई 1945 में कनाजावा ने मेंगयिन काउंटी में 50 साल के एक आदमी को पकड़ने का आदेश दिया। कनाजावा ने बताया कि उस आदमी को बारूदी सुरंग पर लिटा दिया। इससे वह बुरी तरह जख्मी हो गया। फिर उसे भूसे में बांधकर जला दिया।

कनाजावा ने यह भी माना है कि उसने और उसके साथी सैनिकों ने एक चीनी महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था।

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