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रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में लगी आग, हजारों हुए बेघर

तेजी से फैल रही आग को काबू में करने के लिये दमकलकर्मियों की कम से कम चार इकाइयां जुटी हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की एक प्रवक्ता ने बताया कि अग्निशमन सेवा, बचाव एवं प्रतिक्रिया दल तथा स्वयंसेवी घटनास्थल पर मौजूद हैं। अब तक आग ने आश्रयों, स्वास्थ्य केंद्रों समेत अन्य सेवा स्थलों को प्रभावित किया है। 

Massive fire sweeps through Rohingya refugee camp in Bangladesh- India TV Hindi Image Source : AP तेजी से फैल रही आग को काबू में करने के लिये दमकलकर्मियों की कम से कम चार इकाइयां जुटी हैं।

कॉक्स बाजार: दक्षिणी बांग्लादेश के रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में सोमवार को भीषण आग लगने से सैंकड़ों आश्रय स्थलों को नुकसान पहुंचा और हजारों शरणार्थी बेघर हो गए। अधिकारियों और चश्मदीदों ने यह जानकारी दी। सरकार की शरणार्थी, राहत और प्रत्यर्पण आयोग के अतिरिक्त आयुक्त मोहम्मद शमशूद दाउजा ने बताया कि कॉक्स बाजार जिले के बालूखाली शिविर में दोपहर में आग लग लग गई और यह तेजी से कम से कम चार ब्लॉक में फैल गई। 

उन्होंने बताया कि रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में तेजी से फैल रही आग को काबू में करने के लिये दमकलकर्मियों की कम से कम चार इकाइयां जुटी हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की एक प्रवक्ता लुइस डोनोवान ने ईमेल के जरिए बताया कि अग्निशमन सेवा, बचाव एवं प्रतिक्रिया दल तथा स्वयंसेवी घटनास्थल पर मौजूद हैं। अब तक आग ने आश्रयों, स्वास्थ्य केंद्रों समेत अन्य सेवा स्थलों को प्रभावित किया है। 

स्वयंसेवी प्रभावितों की मदद कर रहे हैं। इस घटना में तत्काल किसी के हताहत होने की खबर नहीं है लेकिन मौत और झुलसने की आशंका जताई गई है। लोगों के लापता होने के संबंध में अभी किसी भी खबर की पुष्टि नहीं की जा सकी है। दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने द एसोसिएटेड प्रेस को घटनास्थल पर बताया कि आग तेजी से फैली और सोमवार रात में भी इस पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया गया है।

बता दें कि बांग्लादेश इस समय लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों का घर है। इनमें बड़ी संख्या में लोग साल 2017 में म्यांमार से भागकर यहां आए थे। तब वहां की सेना ने इनके साथ खूब अत्याचार किया था। रोहिंग्याओं का नरसंहार किया गया, इनके घरों को आग लगा दी गई और महिलाओं के साथ बलात्कार की खबरें भी सामने आई थीं।

सेना से बचने के लिए ये लोग म्यांमार से भागकर उसके पड़ोसी देशों में जाकर रहने लगे। बंग्लादेश ने इन लोगों के रहने के लिए यहां शिविरों की व्यवस्था की है लेकिन वह चाहता है कि ये लोग अपने देश म्यांमार वापस लौट जाएं। संयुक्त समझौते के तहत प्रत्यावर्तन के कई प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं क्योंकि रोहिंग्या शरणार्थियों ने सेना के डर से वापस लौटने से इनकार कर दिया है।

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