क्या है शौतान को पत्थर मारने की परंपरा और क्यों ? जानिए
दुनिया भर से करोड़ों हज यात्रियों के जबल अराफात पहुंचने के बाद हज अपने शबाब पर पहुंच जाता है। इसके बाद हज यात्री यहां से पैदल,बाइक और बसों में सवार होकर रात भर मीना पहुंचते हैं। कहा जाता है कि अराफात में ही 14 वीं सदी पहले पैगंबर मोहम्मद ने हज का अपना आखिरी खुत्बा दिया था।
पत्थर मारने की रस्म में श्रद्धालुओं ने मीना के रास्ते में पड़ने वाले मुज्दलिफा से एकत्र किये गए पत्थरों को दीवारों पर मारते हैं।
इब्राहिम ने तीन जगहों पर शैतान को मारा था पत्थर ऐसा माना जाता है कि इब्राहिम ने तीन जगहों पर शैतान को तब पत्थर मारे थे जब अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे की कुर्बानी देने से उन्हें रोकने की कोशिश की गई थी।
पत्थर फेंकने के साथ ही श्रद्धालुओं भेड़ों की कुर्बानी भी देते हैं। आजकल श्रद्धालु यह रस्म खुद नहीं निभाते लेकिन इसके लिए रकम अदा करते है जिसकी बदौलत कई देशों में मुस्लिमों को गोश्त वितरित किया जाता है।
Latest World News