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उत्तर कोरिया में लोकतंत्र की अपनी परिभाषा, चुनाव से पहले ही नतीजे तय

उत्तर कोरिया लोकतंत्र की एक नई परिभाषा गढ़ते हुए रविवार को अनोखा चुनाव कराने जा रहा है, जिसके नतीजे पहले से ही तय हैं। देश के नेता किम जोंग-उन की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की ‘डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया’ पर मजबूत पकड़ से सभी वाकिफ हैं।

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प्योंगयांग: उत्तर कोरिया लोकतंत्र की एक नई परिभाषा गढ़ते हुए रविवार को अनोखा चुनाव कराने जा रहा है, जिसके नतीजे पहले से ही तय हैं। देश के नेता किम जोंग-उन की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की ‘डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया’ पर मजबूत पकड़ से सभी वाकिफ हैं। लेकिन दिखावे के लिए यहां हर पांच वर्ष में ‘सुप्रीम पीपुल्स असेंबली’ के चुनाव कराए जाते हैं जिसके नतीजे सब पहले से ही जानते हैं।

इसे जारी रखते हुए रविवार को यहां मतदान कराया जा रहा है। उत्तर कोरिया इस बार भी ‘‘एकनिष्ठ एकता’’ के नारे के साथ चुनाव करा रहा है। मतदान के दौरान हर मतपत्र पर केवल एक ही स्वीकृत नाम होगा। मतदाता मत डालने से पहले नाम को काट सकते हैं लेकिन वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है। आधिकारिक समाचार एजेंसी ‘केसीएनए’ के अनुसार पिछले साल 99.97 प्रतिशत मतदान हुआ था और केवल उन लोगों ने मतदान नहीं किया था जो देश से बाहर थे। शत प्रतिशत मतदान नामित उम्मीदवारों के पक्ष में हुआ था। ऐसे नतीजे विश्व में और कहीं देखने को नहीं मिलते।

चुनाव अधिकारी को कयोंग हक ने ‘एएफपी’ से कहा, ‘‘ हमारा एक ऐसा समुदाय है जहां लोग एकमत होकर शीर्ष नेता के सम्मान में एकत्रित होते हैं।’’ इस दौरान 3.26 प्योंगयांग केबल फैक्टरी में मतदाताओं की कतार लगी दिखी। उन्होंने कहा कि चुनाव में हिस्सा लेना नागरिकों का कर्तव्य है और ‘‘ ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो उम्मीदवार को नकारे।’’

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