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पाकिस्तान आम चुनाव: इस्लामी धर्मगुरु की कट्टरपंथी पार्टी ने कहा, हैरान करने वाले नतीजे आएंगे

पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले चुनाव के मद्देनजर एक धर्मगुरु के नेतृत्व वाली नवगठित इस्लामी कट्टरपंथी पार्टी ने ‘हैरान करने वाले नतीजे’ आने का दावा किया है...

Pakistan Elections: Islamic hardline party TLP vows to bring 'surprising results' | Facebook- India TV Hindi Pakistan Elections: Islamic hardline party TLP vows to bring 'surprising results' | Facebook

कराची: पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले चुनाव के मद्देनजर एक धर्मगुरु के नेतृत्व वाली नवगठित इस्लामी कट्टरपंथी पार्टी ने ‘हैरान करने वाले नतीजे’ आने का दावा किया है। पार्टी का लक्ष्य मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को उकसा कर मौजूदा सत्ता ढांचे में पैठ बनाना है। तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) पाकिस्तान प्रमुख अल्लामा खादिम हुसैन रिजवी ने रविवार रात कराची से अपना अभियान शुरू किया। उन्होंने कहा कि वह चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं देखते हैं।

व्हीलचेयर पर बैठे रिजवी ने कहा कि उनकी पार्टी का घोषणा पत्र इस्लाम की शिक्षाओं के समान है ताकि पाकिस्तान में वास्तविक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की जा सके। रिजवी के दोनों पैर लकवाग्रस्त हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें विश्वास है कि जो खत्म-ए-नबुव्वत में विश्वास करते हैं वो हमारे पक्ष में मतदान करेंगे और आप चुनाव में आश्चर्यजनक नतीजे देखेंगे।’ 'खत्म-ए-नबुव्वत' इस्लामी आस्था का मूल बिंदु है, जिसका मतलब यह है कि मोहम्मद आखिरी पैगंबर हैं और उनके बाद कोई और पैगंबर नहीं होगा। पार्टी ने शहर से नेशनल असेंबली और प्रांतीय असेंबली की सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा है।

एयरपोर्ट एरिया और उसके आस-पास भारी ट्रैफिक जाम देखने को मिला क्योंकि TLP नेता एक काफिले में एयरपोर्ट से शहर जा रहे थे। इस दौरान उनके हजारों समर्थक मौजूद थे। TLP पिछले साल नवंबर में तब चर्चा में आई थी जब रिजवी के नेतृत्व में उसके समर्थक इस्लामाबाद और रावलपिंडी में जमा हो गए और विधि मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। वे चुनाव कानून, 2017 में खत्म-ए-नबुव्वत के शपथ में संशोधन के पीछे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

उस कानून में संशोधन के जरिए उस प्रावधान के शब्दों में बदलाव किया गया था जिसके तहत चुनाव में भाग लेने वाले किसी मुस्लिम उम्मीदवार को ये हलफनामा देना होता है कि पैगम्बर मोहम्मद इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हैं और अब उनके बाद कोई दूसरा पैगम्बर नहीं आएगा। TLP समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प के बाद हामिद को इस्तीफा देना पड़ा था। इस संघर्ष में इस्लामाबाद और रावलपिंडी में कई लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। तत्कालीन PML-N सरकार ने इसे 'क्लैरिकल गलती' मानते हुए हलफनामे में सुधार कर दिया था। इसके बाद खत्म-ए-नबुव्वत घोषणा को मूल स्वरूप में बहाल कर दिया गया था।

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