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भारत ने सिंधु जल समझौते का उल्लंघन किया तो UN जाएंगे: पाक

पाकिस्तान के शीर्ष डिप्लोमैट सरताज अजीज ने कहा कि अगर भारत 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित करता है तो उनका मुल्क संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रूख करेगा।

Sartaj Aziz- India TV Hindi Sartaj Aziz

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के शीर्ष डिप्लोमैट सरताज अजीज ने कहा कि अगर भारत 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित करता है तो उनका मुल्क संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रूख करेगा। साथ ही, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस समझौते को रद्द करने को युद्ध छेड़ने की गतिविधि के तौर पर लिया जा सकता है। 

पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार अजीज ने इस मुद्दे पर नेशनल एसेंबली में कहा, "अंतरराष्ट्रीय कानून बताते हैं कि भारत एकतरफा तरीके से इस समझौते से खुद को अलग नहीं कर सकता।" उन्होंने कहा, "समझौता रद्द करने की कार्रवाई को दोनों देशों के बीच युद्ध की कार्रवाई के तौर पर लिया जा सकता है।" 

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उन्होंने कहा कि समझौते को एकतरफा तौर पर रद्द करना पाकिस्तान और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होगी। उन्होंने कहा कि यदि भारत समझौते का उल्लंघन करेगा तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रूख कर सकता है। अजीज ने कहा, इस भारतीय कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय शांति के उल्लंघन के तौर पर लिया जा सकता है और इस तरह पाकिस्तान एक अच्छी वजह को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का रूख कर सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने पर विचार कर रहा है। 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते की एक समीक्षा बैठक की सोमवार को अध्यक्षता की थी जिस दौरान यह फैसला किया गया कि भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के जल का बंटवारा समझौते के मुताबिक अधिकतम दोहन करेगा। 

उरी हमले में 18 सैनिकों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर पलटवार करने के भारत के पास विकल्पों की तलाश करने के मद्देनजर यह बैठक हुई। हमले के बाद यह मांग की जाने लगी कि सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए जल बंटवारा समझौता को रद्द कर दे। समझौते के तहत व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम...छह नदियों के पानी का दोनों देशों में बंटवारा होना था। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सितंबर 1960 में हस्ताक्षर किये थे। 

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