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नागासाकी नहीं, जापान के इस शहर में गिरने वाला था एटम बम, जानिए कैसे बदला अमेरिका का निशाना

द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के दो शहरों पर अमेरिका ने एटम बम गिराया था। एक का नाम हिरोशिमा था और दूसरे का नाम नागासाकी। लेकिन क्या आपको पता है, नागाशाकी वो शहर नहीं था, जहां अमेरिका को अपना एटम बम गिराना था। नागासाकी ने किसी दूसरे शहर का कहर खुद पर झेला।

जापान एटम बम विस्फोट...- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA जापान एटम बम विस्फोट (सांकेतिक तस्वीर)

द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में, 6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के दो शहरों, 'हिरोशिमा और नागासाकी' पर परमाणु बम गिराकर इतिहास की सबसे भीषण तबाही मचाई थी। हिरोशिमा पर "लिटिल बॉय" और नागासाकी पर "फैट मैन" नामक बम गिराए गए, जिसमें लाखों लोग मारे गए और दोनों शहर राख में तब्दील हो गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले नागासाकी अमेरिका का निशाना नहीं था? दूसरा परमाणु बम असल में जापान के एक अन्य शहर पर गिराया जाना था लेकिन आखिरी वक्त में अमेरिका का निशाना बदल गया और उस शहर की जगह नागासाकी को तबाह कर दिया गया। 

ये शहर था अमेरिका का पहला निशाना

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, अमेरिका ने जापान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के इरादे से परमाणु बमों का इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। हिरोशिमा पर पहला बम गिराने के बाद, दूसरा निशाना तय किया गया और वह टारगेट था जापान का कोकुरा शहर। कोकुरा उस समय जापान का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर था, जहां बड़े पैमाने पर गोला-बारूद और हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियां थीं। अमेरिका की रणनीति थी कि कोकुरा पर हमला करके जापान की सैन्य शक्ति को और कमजोर किया जाए। इसके लिए 9 अगस्त 1945 को बी-29 बॉम्बर विमान "बॉक्स कार" को "फैट मैन" बम के साथ कोकुरा की ओर रवाना किया गया।

कैसे बदला निशाना

9 अगस्त की सुबह, जब बी-29 विमान कोकुरा के ऊपर पहुंचा, तो वहां का मौसम खराब था। आसमान में घने बादल और धुआं छाया हुआ था, जिसके कारण पायलट मेजर चार्ल्स स्वीनी को टारगेट साफ तौर पर दिखाई नहीं दे रहा था। अमेरिकी सेना के नियमों के अनुसार, परमाणु बम को केवल विजन के आधार पर ही गिराया जाना था, ताकि सटीक निशाना लगाया जा सके। कई चक्कर लगाने के बाद भी जब कोकुरा पर हमला संभव नहीं हुआ, तो विमान में ईंधन की कमी होने लगी। ऐसे में, स्वीनी को दूसरा विकल्प चुनना पड़ा और वह विकल्प था नागासाकी। 

Image Source : Social Mediaजापान एटम बम विस्फोट (सांकेतिक तस्वीर)

बम गिरने से 74,000 लोग मारे गए

नागासाकी उस समय अमेरिका की सूची में वैकल्पिक निशाना था। यह एक बंदरगाह शहर था और औद्योगिक रूप से भी महत्वपूर्ण था, लेकिन कोकुरा की तुलना में कम प्राथमिकता वाला लक्ष्य था। मौसम की वजह से कोकुरा को निशाना बनाना संभव नहीं हुआ, और आखिरकार सुबह 11:02 बजे "फैट मैन" बम नागासाकी पर गिरा दिया गया। इस हमले में लगभग 74,000 लोग मारे गए, और शहर का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया।

क्योटो भी था निशाने पर, लेकिन बच गया

यह जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका ने शुरुआत में जापान के क्योटो शहर को भी निशाने की सूची में शामिल किया था। क्योटो उस समय जापान की सांस्कृतिक राजधानी थी, जहां कई विश्वविद्यालय, उद्योग, और ऐतिहासिक धरोहरें थीं। लेकिन अमेरिकी युद्ध मंत्री हेनरी स्टिम्सन ने क्योटो को सूची से हटवा दिया। कारण था उनका निजी लगाव। स्टिम्सन ने अपनी पत्नी के साथ क्योटो में हनीमून मनाया था और इस शहर से उनकी कई यादें जुड़ी थीं। उनकी जिद के कारण क्योटो की जगह नागासाकी को सूची में शामिल किया गया। इस तरह, एक हनीमून की याद ने क्योटो को तबाही से बचा लिया, लेकिन नागासाकी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।

हमले की भयावहता

नागासाकी पर गिराया गया "फैट मैन" बम हिरोशिमा के "लिटिल बॉय" से भी ज्यादा शक्तिशाली था। यह बम जमीन से करीब 500 मीटर ऊपर फटा, जिसके कारण आग का एक विशाल मशरूमनुमा गोला आसमान में उठा। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि शहर का 70% औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह नष्ट हो गया। हालांकि, नागासाकी के आसपास पहाड़ों ने तबाही के दायरे को कुछ हद तक सीमित कर दिया, जिसके कारण हिरोशिमा की तुलना में नुकसान कम हुआ। फिर भी, इस हमले ने हजारों लोगों की जिंदगी छीन ली और आने वाली पीढ़ियों पर रेडियेशन का गहरा असर छोड़ा।

Image Source : Social Mediaजापान एटम बम विस्फोट (सांकेतिक तस्वीर)

क्या कहते हैं इतिहासकार?

कई इतिहासकारों का मानना है कि जापान उस समय पहले ही हार के कगार पर था, और परमाणु बमों का इस्तेमाल शायद जरूरी नहीं था। कुछ का तर्क है कि अमेरिका ने इन हमलों के जरिए अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया और सोवियत संघ को एक संदेश देना चाहता था। वहीं, कुछ का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमन जापान को जल्द से जल्द आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना चाहते थे, ताकि युद्ध को खत्म किया जा सके। इन हमलों के बाद, 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया, और द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया।

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