कोरोना वायरस महामारी चीन में खूब कहर बरपा रही है। इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां दवाओं तक की भारी कमी हो गई है। मेडिकल स्टोर्स के बाहर लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार स्वस्थ सेवाओं में सुधार की कोशिशें कर रही है। हाल में लॉकडाउन के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद सरकार ने जीरो कोविड नीति में ढिलाई की। इसके साथ ही सरकार कोविड केयर सेंटर की संख्या बढ़ा रही है। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने की कोशिशें हो रही हैं। शी जिनपिंग की सरकार ने ये साफ कर दिया है कि वह कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
विरोध को देखते हुए अब सरकार लॉकडाउन या क्वारंटीन जैसे सख्त नियम लागू नहीं करेगी। सरकार अब लॉकडाउन, क्वारंटीन या यात्रा पर प्रतिबंध जैसे कोविड जीरो नीति के सख्त नियमों के बजाय अन्य तरीकों से कोरोना पर लगाम लगाएगी। सरकार ने इसके लिए रणनीति तैयार की है।
बुजुर्गों की सेहत पर अधिक ध्यान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार (08 दिसंबर) को सरकार ने कैबिनेट की बैठक की, जिसमें कोविड से निपटने के लिए अस्पतालों की निगरानी को लेकर रणनीति तैयार की गई है। अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ के साथ ही दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार की ओर से निर्देश दिया गया है कि 65 साल से अधिक आयु के लोगों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
चीन में दवाओं की हो रही किल्लत
पूरे चीन में मेडिकल सप्लाई ठप पड़ी है। दवा की दुकानों पर लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। स्थिति इतनी खराब है कि लोगों को दवा और अन्य चिकित्सा उपकरणों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जहां सामान मिलता है, वहां कीमतें सामान्य से कई गुना ज्यादा हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए कोविड प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा की गई है।
इन वजहों से हुई दवाओं की कमी दवाओं की अचानक कमी के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला ये कि चीन में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मामले बढ़ने से दवाओं की मांग भी बढ़ गई है। वहीं दूसरी वजह है लॉकडाउन में छूट। पहले लोग घरों में बंद थे और खरीदारी भी कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन में ढील मिलते ही भीड़ निकलने लगी। लोग अपने बचाव के लिए पहले से ही दवाएं खरीद रहे हैं। अचानक से मांग बढ़ने से भी हड़कंप मच गया है।
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