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इजराइल-हमास संघर्ष से चीन को लगा बड़ा झटका, जानिए कैसे चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का टूटा सपना?

पश्चिम ​एशिया में मध्यस्थता की भूमिका निभाने के चीन के सपने को इजराइल हमास के ताजा संघर्ष से करारा झटका लगा है। चीन ने बड़ी उम्मीदें पाली थीं, लेकिन इस जंग ने उन उम्मीदों को तोड़ दिया है। अब खिसियाया चीन लीपापोती की बातें कर रहा है। जानिए क्या है पूरा मामला?

इजराइल हमास संघर्ष से जिनपिंग को झटका।- India TV Hindi Image Source : FILE इजराइल हमास संघर्ष से जिनपिंग को झटका।

China on Israel Hamas War: इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। गाजा पट्टी में लगातार इजराइल के हवाई हमलों से हमास के आतंकियों की कमर टूट गई है। वहीं आम लोगों की जान का संकट भी और गहरा गया है। इजराइली हमलों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है। इस संघर्ष के कारण वैश्विक कूटनीति पर बड़ा फर्क पड़ा है। ऐसे में चीन के अरमानों को काफी धक्का लगा है। चीन जो कि पश्चिम एशिया में अहम भूमिका निभाने के लिए बेताब था। उसे करारा झटका लगा है। 

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते थे कि ईरान और सउदी अरब की दोस्ती की तरह फिलिस्तीन और इजराइल की दोस्ती कराकर 'मसीहा' बन जाएंगे और अमेरिका को कूटनीतिक पटखनी देंगे। लेकिन उनका यह सपना धरा का धरा रह गया। इजराइल पर पहले आतंकी संगठन हमास ने जोरदार हमला करके तांडव मचा दिया। जवाब में इजराइल ने गाजा में खतरनाक पलटवार करके सारे समीकरण बदल दिए। जानिए कैसे जिनपिंग के अरमानों पर पानी फिर गया?

 

जानिए गाजा संघर्ष ने कैसे तोड़ा ​चीन का सपना?

चीन इजराइल और फिलिस्तीन के बीच अपना 'उल्लू' सीधा करना चाह रहा था। लेकिन गाजा संघर्ष ने चीन का सपना तोड़ दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जून में बीजिंग में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू को चीन की आधिकारिक यात्रा के लिए आमंत्रित किया था। बड़ी बात यह रही कि इजराइली पीएम नेतान्याहू ने चीन का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। इस तरह चीन पश्चिम एशिया में एक बड़ी भूमिका निभाने की राह पर था। सबकुछ चीन के मुताबिक चल रहा था, लेकिन अचानक 7 अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर बड़ा हमला कर दिया और चीन के सपनों को करारा झटका लग गया।

नेतन्याहू की इस महीने की प्र​स्तावित थी चीन यात्रा, जाने पर उठे सवाल?

अब इजराइल पर हमास के हमले के बाद नेतान्याहू की इस महीने के अंत में होने वाली चीन यात्रा को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इजराइल-हमास युद्ध को लेकर चीन की तटस्थता से इजराइल निराश है, लेकिन अरब देशों के साथ करीबी संबंध बनाकर चीन को दीर्घकालिक रूप से फायदा हो सकता है। चीन में स्थित ‘रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना’ में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर शी यिनहोंग ने कहा, “युद्ध के चलते कुछ समय के लिए ही सही, चीन की पश्चिम एशिया योजना खटाई में पड़ गई है। इजराइल का पक्का समर्थक अमेरिका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। चीन की सुनने वाला कौन है?”

चीन ने ताजा संघर्ष पर कही ये बात

पश्चिम एशिया में चीन के दूत झाई जून ने पिछले सप्ताह फिलिस्तीन और मिस्र के अधिकारियों से फोन पर बात कर तत्काल संघर्ष विराम तथा फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय समर्थन की अपील की थी। झाई ने इजराइली अधिकारियों को यह भी कहा कि चीन का "फिलिस्तीनी मुद्दे पर कोई स्वार्थ नहीं है, लेकिन वह हमेशा शांति, निष्पक्षता और न्याय के पक्ष में खड़ा रहा है।" उन्होंने कहा, "चीन शांति को बढ़ावा देने और बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने को इच्छुक है।" 

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