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भारत से संबंध सुधारना चाहता थे इमरान खान, अपने कार्यकाल में इन कारणों को बताया बाधक

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ तनावपूर्ण संबंध सुधारना चाहते थे। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा 2019 में कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद उनकी सरकार ने बातचीत पर जोर नहीं दिया।

पूर्व पाक पीएम इमरान खान(फाइल फोटो)- India TV Hindi Image Source : FILE पूर्व पाक पीएम इमरान खान(फाइल फोटो)

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ तनावपूर्ण संबंध सुधारना चाहते थे, लेकिन कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म करना इसमें ‘बाधक’ बन गया। क्रिकेटर से नेता बने 70 साल के इमरान खान ने यह भी कहा कि तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का भारत के साथ बेहतर संबंध रखने को लेकर और भी अधिक झुकाव था। 

'भारत पहले अपने फैसले को पलटे और शांति वार्ता करे'

इमरान खान ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत पहले अपने फैसले को पलटे और शांति वार्ता करे। मीडियाकर्मियों ने जब खान से पूछा कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत के प्रति फॉरेन पॉलिसी कौन तय कर रहा था, वह या फिर जनरल बाजवा, इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘‘मैं बॉस था मैं फॉरेन पॉलिसी निर्धारित कर रहा था। हालांकि, जाने दीजिए। मैं आपको बता दूं कि जनरल बाजवा भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने के इच्छुक थे।’’ 

पीएम मोदी को लेकर कही थी ये बात

पूर्व पीएम इमरान खान ने हाल में कहा था कि उनके कार्यकाल के दौरान उनके पास शक्ति नहीं थी, क्योंकि जनरल बाजवा वह शख्स थे, जो फैसले ले रहे थे। यह याद दिलाने पर कि उन्होंने भारत में चुनाव से पहले इच्छा व्यक्त की थी कि नरेंद्र मोदी जीतें क्योंकि वह कश्मीर मुद्दे को हल करेंगे, खान ने कहा, ‘‘मुझे अभी भी विश्वास है कि दक्षिणपंथी पार्टी का नेता ही संघर्ष को हल कर सकता है। मोदी दक्षिणपंथी पार्टी से हैं, इसलिए मैं चाहता था कि वह सत्ता में लौटें और कश्मीर मुद्दे को हल करें।’

'स्पेशल स्टेटस खत्म करने के बाद भारत ने बातचीत पर जोर नहीं दिया'

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ(PTI) के अध्यक्ष खान ने कहा, ‘‘मैं अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता था, लेकिन RSS की विचारधारा और (जम्मू कश्मीर के) स्पेशल स्टेटस को खत्म करना इसमें बाधक बन गया।’’ PTI अध्यक्ष  ने कहा कि भारत द्वारा 2019 में कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद उनकी सरकार ने बातचीत पर जोर नहीं दिया। 

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