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Hindi News विदेश एशिया गाजा के अस्पताल में रेड के दौरान मारा गया एक इजरायली सैनिक, जानें अब तक कितनों की हुई मौत

गाजा के अस्पताल में रेड के दौरान मारा गया एक इजरायली सैनिक, जानें अब तक कितनों की हुई मौत

हमास की सशस्त्र शाखा अल-कसम ब्रिगेड ने सोमवार को कहा था कि अल-शिफा परिसर के पास घुसपैठ कर रहे दुश्मन (इजरायली) सेना के साथ उसकी भीषण झड़प हो रही है।

Israel, Israeli Soldier Killed, Israel Hamas War, Israel Gaza Hospital- India TV Hindi Image Source : AP FILE गाजा के अल-शिफा अस्पताल में छापेमारी के दौरान एक इजरायल सैनिक की मौत हो गई।

तेल अवीव: इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में एक और इजरायली सैनिक की मौत हो गई है। इजरायली सेना ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गाजा शहर में अल-शिफा अस्पताल में छापेमारी के दौरान उसके एक सैनिक की जान चली गई। न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने इजरायली पब्लिक रेडियो के हवाले से बताया कि सैनिक हनाहल ब्रिगेड का हवलदार था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा के अस्पताल में सैनिक की मौत के साथ पिछले साल इस जंग के शुरू होने के बाद से अब तक 593 इजरायली सैनिकों की मौत हो चुकी है।

छापेमारी के दौरान मारे गए कई फिलिस्तीनी

इससे पहले सोमवार को हमास की सशस्त्र शाखा अल-कसम ब्रिगेड ने कहा था कि अल-शिफा परिसर के पास घुसपैठ कर रहे दुश्मन (इजरायली) सेना के साथ उसकी भीषण झड़प हो रही है। अल-कसम ब्रिगेड ने एक प्रेस स्टेटमेंट में कहा था कि उसने कई सैन्य वाहनों को निशाना बनाया। इजरायली रक्षा बलों के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने कहा कि IDF सैनिक खुफिया जानकारी के आधार पर अल-शिफा अस्पताल में एक ऑपरेशन चला रहे थे। फिलिस्तीनी और इजरायली सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के दौरान कई फिलिस्तीनी मारे गए व घायल हुए और 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

‘अस्पताल में हजारों ने ली हुई है शरण’

इजरायल की सेना का कहना है कि हमास के आतंकियों ने फिर से अस्पताल को अपना ठिकाना बना लिया है और परिसर के अंदर से गोलियां बरसाईं हैं। वहीं फिलिस्तीनी अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में हजारों लोगों ने शरण ली हुई है। इजरायली सेना ने पिछले साल नवंबर में शिफा अस्पताल पर हमला किया था। सेना ने दावा किया था कि हमास ने अस्पताल के भीतर और उसके नीचे एक कमांड सेंटर बना रखा था। सेना ने कुछ अंडरग्राउंड कमरों तक जाने वाली एक सुरंग का भी पता लगाया था और अस्पताल के अंदर से हथियार बरामद किये थे। हालांकि दावों के मुकाबले सबूत कम होने की वजह से आलोचकों ने सेना पर नागरिकों की जान खतरे में डालने का आरोप लगाया था।

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