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Hindi News विदेश एशिया अब रूस की मुश्किल बढ़ाएगा अमेरिका का अब्राम टैंक, यूक्रेनी सैनिकों को प्रशिक्षण देने जा रही बाइडन की सेना

अब रूस की मुश्किल बढ़ाएगा अमेरिका का अब्राम टैंक, यूक्रेनी सैनिकों को प्रशिक्षण देने जा रही बाइडन की सेना

अमेरिका के घातक अब्राम टैंक अब रूस के लिए बड़ी मुश्किल पैदा कर सकते हैं। दरअसल अमेरिका अब यूक्रेनी सैनिकों को अब्राम के संचालन का प्रशिक्षण देने वाला है। प्रशिक्षण हासिल करने के बाद यूक्रेन के सैनिक रूसी सेना का मुकाबला करने के लिए इस घातक टैंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह टैंक दुनिया के डैंजरस टैंको में गिना जाता है।

प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो

अमेरिका के घातक अब्राम टैंक अब रूस के लिए बड़ी मुश्किल पैदा कर सकते हैं। दरअसल अमेरिका अब यूक्रेनी सैनिकों को अब्राम के संचालन का प्रशिक्षण देने वाला है। प्रशिक्षण हासिल करने के बाद यूक्रेन के सैनिक रूसी सेना का मुकाबला करने के लिए इस घातक टैंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह टैंक दुनिया के डैंजरस टैंको में गिना जाता है, जो दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के करीब एक वर्ष होने के दौरान अमेरिका ने यूक्रेन को यह टैंक देने का ऐलान किया था। रूस ने इसके लिए अमेरिका का भारी विरोध किया था और उसे इसकी कीमत चुकाने को धमकाया भी था।

इसके बावजूद अब अमेरिका आगामी हफ्तों में यूक्रेन की सेना को अब्राम टैंक के इस्तेमाल और रखरखाव के बारे में प्रशिक्षण देना शुरू करेगा। अमेरिकी अधिकारियों ने शुक्रवार को यह बात कही। यह निर्णय ऐसे समय आया है जब यूक्रेन को हथियारों और अन्य उपकरण प्रदान करने में समन्वय के जारी प्रयासों के तहत यूरोप और दुनियाभर के रक्षा नेता रामस्टीन एयर बेस पर बैठक कर रहे हैं। शुक्रवार को दिन के उत्तरार्ध में इस संबंध में कोई घोषणा किए जाने की उम्मीद है।

10 हफ्ते की ट्रेनिंग

अधिकारियों के अनुसार, 31 टैंक मई के अंत में जर्मनी के ग्रेफेनवोहर प्रशिक्षण क्षेत्र पहुंचेंगे और सैनिक कुछ सप्ताह बाद प्रशिक्षण शुरू करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि यह प्रशिक्षण करीब 10 सप्ताह तक चलेगा। इसके बाद यूक्रेन इस टैंक का इस्तेमाल रूसी सेना के खिलाफ करना शुरू कर देगा। अमेरिका के अलावा जर्मनी और ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को टैंकों की सप्लाई की है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हमले की बरसी से पहले नाटो और पश्चिमी देशों से टैंकों और हथियारों की मांग की थी।

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