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Hindi News विदेश एशिया पाकिस्तान: बंटवारे के 75 साल बाद करतारपुर गलियारे में मिले बिछड़े भाई-बहन, जानिए किसने मिलवाया?

पाकिस्तान: बंटवारे के 75 साल बाद करतारपुर गलियारे में मिले बिछड़े भाई-बहन, जानिए किसने मिलवाया?

भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान 75 साल पहले एकदूसरे से बिछड़े एक व्यक्ति और उसकी बहन ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे पर फिर से मिल गए

पाकिस्तान: बंटवारे के 75 साल बाद करतारपुर गलियारे में मिले बिछड़े भाई-बहन- India TV Hindi Image Source : FILE पाकिस्तान: बंटवारे के 75 साल बाद करतारपुर गलियारे में मिले बिछड़े भाई-बहन

Kartarpur Sahib: भारत और पाकिस्तान के 1947 में हुए बंटवारे के बाद कई परिवार पाकिस्तान चले गए, जबकि कई परिवार भारत में ही रह गए। ऐसे में किसी का भाई या बहन हिंदुस्तान में रह गया, तो किसी के माता पिता या अन्य सगे संबंधी पाकिस्तान चले गए। ऐसे में ​करतारपुर कॉरिडोर के खोले जाने के बाद 75 साल पहले बिछड़े भाई बहनों की फिर मुलाकात हो गई। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान 75 साल पहले एकदूसरे से बिछड़े एक व्यक्ति और उसकी बहन ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे पर फिर से मिल गए। दोनों की यह मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए पॉसिबल हो पाई। पाकिस्तान के ‘डॉन’ अखबार के अनुसार भारत की 81 साल की महेंद्र कौर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अपने 78 वर्षीय भाई शेख अब्दुल अजीज से करतारपुर गलियारे में फिर मिलीं, जब उन्हें एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से पता चला कि वे 1947 में विभाजन के दौरान अलग हुए भाई-बहन थे।

विभाजन के बाद अलग हो गया था परिवार

विभाजन के दौरान, पंजाब के भारतीय हिस्से से सरदार भजन सिंह का परिवार दुखद रूप से अलग हो गया था, जब अजीज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए थे, जबकि उनके परिवार के अन्य सदस्य भारत में ही रह गए थे। उन्होंने कम उम्र में शादी कर ली थी लेकिन हमेशा माता-पिता और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ फिर से जुड़ने की प्रबल इच्छा रखते थे। 

गले मिले भाई बहन, साथ में मत्था टेका

विभाजन के समय एक व्यक्ति और उसकी बहन के बिछड़ने का विवरण देने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दोनों परिवारों को पता चला कि महेंद्र और अजीज वास्तव में बिछड़े हुए भाई-बहन थे। रविवार को खुशी से झूमते हुए महेंद्र कौर ने बार-बार अपने भाई को गले लगाया और उनके हाथों को चूमा और दोनों परिवारों ने साथ में करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में मत्था भी टेका।

करतारपुर प्रशासन ने बांटी मिठाई, पहनाई माला

जब 75 साल बाद बुजुर्ग भाई बहन की मुलाकात हुई, तो आपस में मिलने की याद में प्रतीक के रूप में एक दूसरे को उपहार भी दिए। इस खुशियों के साथ 75 साल बाद मिलने के दौरान करतारपुर प्रशासन ने भी अपनी ओर से दोनों का सम्मान किया। करतारपुर प्रशासन ने दोनों परिवारों को माला पहनाई और मिठाइयां बांटी।

बिना वीजा के मत्था टेक सकते हैं करतारपुर साहिब में

करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के पंजाब में गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है। 4 किलोमीटर लंबा गलियारा दरबार साहिब जाने के लिए भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को वीजा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है। 

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