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आतंकियों के गढ़ में क्या हो सकता है आतंकी हमला, पाकिस्तान सरकार ने अपने अधिकारियों को दिया ये निर्देश

Pakistan: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) द्वारा आतंकवादी हमलों के बढ़ते खतरे के बीच पाकिस्तान सरकार ने अधिकारियों को अत्यधिक सतर्कता बरतने को कहा है। आतंकवादी संगठन टीटीपी के साथ शांति वार्ता ठप होने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।

Pakistan- India TV Hindi Image Source : INDIA TV/AP Pakistan

Highlights

  • टीटीपी के साथ बातचीत शुरू की थी
  • टीटीपी ने 2012 में मलाला यूसुफजई पर हमला किया
  • सेना की मौजूदगी के बिना मौलवियों के आश्वासन पर कोई विश्वास नहीं है

Pakistan: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) द्वारा आतंकवादी हमलों के बढ़ते खतरे के बीच पाकिस्तान सरकार ने अधिकारियों को अत्यधिक सतर्कता बरतने को कहा है। आतंकवादी संगठन टीटीपी के साथ शांति वार्ता ठप होने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। संघीय सरकार ने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि टीटीपी के सदस्यों ने शांति वार्ता को लेकर जारी गतिरोध पर चर्चा करने और टीटीपी के कमांडर उमर खालिद खोरासानी तथा आफताब पार्के के मारे जाने के बाद पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत की दिशा तय करने के लिए अफगानिस्तान के पक्तिका में हाल ही में मुलाकात की थी। 

पाकिस्तान बार-बार हुई फेल 
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चार प्रांतों के अधिकारियों को जारी किए गए पत्र में उनसे किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ाने और सतर्कता बरतने का आग्रह किया गया है। पाकिस्तानी मीडिया डॉन की एक खबर के अनुसार, पिछले महीने जारी किए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने आगाह किया है कि टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच पिछले एक साल से शांति वार्ता ठप पड़ी है, जिससे टीटीपी में बेचैनी है। गौरतलब है कि टीटीपी, पाकिस्तानी सरकार पर उसकी प्रमुख मांगों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाता है। 

टीटीपी ने मलाला यूसुफजई पर हमला किया था
वह खैबर पख्तूनख्वा के साथ पूर्व संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (एफएटीए) के विलय के फैसले को वापस लेने की मांग भी करता है। खबर के अनुसार, यह पत्र गृह व चार प्रांतों के मुख्य सचिवों तथा इस्लामाबाद के मुख्य आयुक्त को भेजा गया है। पाकिस्तान ने पिछले साल एक अंतरिम अफगानिस्तान सरकार की मदद से टीटीपी के साथ बातचीत शुरू की थी, लेकिन उसमें अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। टीटीपी ने 2012 में मलाला यूसुफजई पर हमला किया था। उन्होंने यूसुफजई पर पश्चिमी सोच वाली लड़की होने का आरोप लगाया था। 

कई बैठक हुई फेल 
टीटीपी हमेशा पाकिस्तानी सरकार के पास अपनी मांग रखते आते रहा है। हाल ही में हुए एक बैठक में उसने पाकिस्तान के सामने कई मांगे रखी थी। टीटीपी के सूत्रों ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा था कि उन्हें सेना की मौजूदगी के बिना मौलवियों के आश्वासन पर कोई विश्वास नहीं है। उनका मानना है कि पाकिस्तान की असली शासक वहां की सरकार नहीं बल्कि सेना है। सूत्रों का कहना है कि टीटीपी नेतृत्व ने हिंसा रोकने के लिए आठ सूत्री मांगें रखी थी और मौलवियों के अनुरोध को खारिज कर दिया था। जुलाई के महीने में पाकिस्तानी मौलवियों की टीम काबुल भी गई थी और टीटीपी को मनाने की आखिरी कोशिश किया था लेकिन प्रयास असफल रहा। टीटीपी ने कहा कि पाकिस्तान एक संधि के आधार पर बना था। यह संधि लागू नहीं हो रही है और इसमें सबसे बड़ी बाधा सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व है, जो उपनिवेशवाद की विरासत है।

क्या चाहता है टीटीपी?
दरअसल आपको बता दें कि टीटीपी पाकिस्तान के कबायली इलाके फाटा पर राज करना चाहती है। उसका इरादा है कि किसी तरह पाकिस्तानी सेना को फाटा से हटा दिया जाए और इसे फिर से लॉन्च पैड बनाकर पूरे पाकिस्तान में हमले किए जाएं। टीटीपी का कहना है कि पाकिस्तान में चल रही शहबाज शरीफ की सरकार शरिया कानून के मुताबिक नहीं है। वे फाटा में तालिबान की तरह शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।

 

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