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इंडोनेशिया में अचानक पानी की जगह बहने लगी आग की नदी, मची चीख-पुकार तो लग गया कर्फ्यू

Volcano Eruption In Indonesia: आपने बहती हुई पानी की नदियां तो बहुत देखी होंगी, लेकिन क्या आग से बहती नदी को भी देखा है?...शायद नहीं, लेकिन हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें पानी की जगह आग बह रही है। अगर इस नदी की ओर कोई गया तो वह जलकर भस्म हो जाएगा।

इंडोनेशिया में ज्वालामुखी विस्फोट से बहती आग की नदी- India TV Hindi Image Source : AP इंडोनेशिया में ज्वालामुखी विस्फोट से बहती आग की नदी

Volcano Eruption In Indonesia: आपने बहती हुई पानी की नदियां तो बहुत देखी होंगी, लेकिन क्या आग से बहती नदी को भी देखा है?...शायद नहीं, लेकिन हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें पानी की जगह आग बह रही है। अगर इस नदी की ओर कोई गया तो वह जलकर भस्म हो जाएगा। यहां के आसपास की धरती आग के गोले की तरह धधक रही है। आसपास हजारों फिट ऊंची आग की लहरें उठ रही हैं। इस दृश्य की कल्पना करके ही आपका कलेजा कांप जाएगा। आइये अब आपको बताते हैं कि इंडोनेशिया में ऐसा क्या हो गया कि पानी की जगह बहने लगी आग की नदी और चारों तरफ मच गया हाहाकार...?

दरअसल इंडोनेशिया की सबसे घनी आबादी वाले द्वीप पर स्थित सबसे ऊंचे ज्वालामुखी में रविवार को भीषण विस्फोट होने की खबर है। इस विशालकाय ज्वालामुखी विस्फोट से आसमान में हजारों फिट ऊंचाई तक लावा, राख और गैस के गुबार उठ रहे हैं। साथ ही यहां लावा (धधकती आग) की नदियां फूट पड़ी हैं। इससे पूरे इलाके में हाहाकार और चीख-पुकार मच गई है। लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ रहे हैं और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

आग की लपटों से हारी सूरज की किरणें
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी के अनुसार ऊर्जा एवं खनिज संसाधन मंत्रालय के तहत ज्वालामुखी विज्ञान और भूवैज्ञानिक खतरा शमन एजेंसी की जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि मॉनसून की बारिश खत्म हो गई और 3,676 मीटर ऊंचे माउंट सेमेरू के ऊपर लावा का गुंबद ढह गया, जिससे विस्फोट हुआ। कई गांवों में ज्वालामुखी से निकले लावों से पैदा हुए राख के गुबार के कारण सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पा रही है, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

लोगों को ज्वालामुखी के मुहाने से 5 किलोमीटर दूर रहने का निर्देश
लोगों को क्रेटर के मुहाने से पांच किलोमीटर दूर रहने और क्रेटर से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित बेसुक कोबोकन नदी के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र से दूर रहने की सलाह दी गई है। पूर्वी जावा प्रांत के लुमाजांग में आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रमुख जोको संबांग ने कहा, सैकड़ों लोगों को अस्थायी आश्रयों में ले जाया गया या अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया, जिनमें ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग थे। संवेदनशीलता को देखते हुए इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सेमेरु का आखिरी बड़ा विस्फोट पिछले साल दिसंबर में हुआ था, जब ज्वालामुखी विस्फोट के कारण 51 लोगों की मौत हो गई थी।

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