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Hindi News विदेश एशिया दुनियाभर की आलोचना के बावजूद भी संयुक्त राष्ट्र से किनारा नहीं करना चाहता चीन, उसके लिए UN क्यों जरूरी है?

दुनियाभर की आलोचना के बावजूद भी संयुक्त राष्ट्र से किनारा नहीं करना चाहता चीन, उसके लिए UN क्यों जरूरी है?

China United Nations: चीन संयुक्त राष्ट्र में उन देशों के समर्थन की उम्मीद कर रहा है, जिनसे उसकी दोस्ती है और जिनमें से कई को उसने वित्तीय मदद दी है जबकि अमेरिका नीति गुट जिसमें जी-7 शामिल हैं, लगातार चीन के प्रति मुखर हो रहे हैं।

chinese president xi jinping- India TV Hindi Image Source : AP chinese president xi jinping

Highlights

  • मानवाधिकारों को लेकर निशाने पर चीन
  • संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में की आलोचना
  • संयुक्त राष्ट्र चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है

China United Nations: पूरी दुनिया के नेता संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क एकत्र हो रहे हैं, वहीं महाशक्ति के तौर पर उभर रहे चीन का ध्यान जिनेवा में चल रही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक पर केंद्रित है। चीन के राजनयिक लगातार मानवाधिकार परिषद की बैठक को लेकर अन्य देशों से बात कर रहे हैं और और अपना पक्ष रख रहे हैं, ताकि शिंजियांग में उसके चरमपंथ विरोधी अभियान की आगे और जांच किए जाने की संभावना को रोका जा सके। 

इस जांच की संभावना संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद बढ़ गई है, जिसमें चीन के पश्चिमी सीमावर्ती प्रांत में उइगर और अन्य मुस्लिम समूहों के उत्पीड़न की बात सामने आई है। अटलांटिक महासागर के विपरीत छोरों पर हो रही इन बैठकों में चीन के संयुक्त राष्ट्र को लेकर बंटे हुए रुख और उसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव की छाप दिखती है। बीजिंग संयुक्त राष्ट्र में उन देशों के समर्थन की उम्मीद कर रहा है, जिनसे उसकी दोस्ती है और जिनमें से कई को उसने वित्तीय मदद दी है जबकि अमेरिका नीति गुट जिसमें जी-7 शामिल हैं, लगातार चीन के प्रति मुखर हो रहे हैं।

चीन के लिए यूएन महत्वपूर्ण क्यों है?

बर्लिन स्थित मर्केटर इंस्टीट्यूट फॉर चाइना स्टडीज की हेलिना लेगार्डा कहती हैं, ‘चीन, संयुक्त राष्ट्र को अहम मंच के तौर पर देखता है, जिसका इस्तेमाल वह अपने रणनीतिक हितों और लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और वैश्विक क्रम में बदलाव के लिए कर सकता है।’ चीन स्थित रेनमिन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ शी यिंगहांग कहते हैं कि वैश्विक क्रम को बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका का मतलब यह नहीं है कि चीन संयुक्त निकाय के हर नजरिए से सहमत हो। उन्होंने इस संदर्भ में कोविड-19 महामारी के उद्गम की जांच और हाल में प्रकाशित शिंजियांग रिपोर्ट का हवाला दिया है।

मानवाधिकार कार्यालय को सहयोग से इनकार

इससे पहले खबर आई थी कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा शिंजियांग प्रांत में उइगर और अन्य जातीय समूहों के खिलाफ बीजिंग की नीतियों की आलोचना करने वाली एक रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद कहा है कि वह मानवाधिकार कार्यालय के साथ सहयोग नहीं कर सकता है। एक शीर्ष चीनी राजनयिक ने यह जानकारी दी थी। हालांकि जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र संस्थानों में चीन के राजदूत चेन जू ने कहा कि मानवाधिकार कार्यालय के साथ काम नहीं करने और विश्व संस्था के साथ सहयोग करने के बीच अंतर है।  चेन ने कहा कि पिछले हफ्ते जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की आतंकवाद विरोधी नीतियों के तहत कुछ अधिकारों का उल्लंघन मानवता के खिलाफ अपराध हो सकता है, यह चीन और उसके कार्यों पर ‘बेबुनियाद आरोप’ है। 

रिपोर्ट को खतरा पैदा करने वाला बताया

चेन ने यूएन जिनेवा प्रेस एसोसिएशन एसीएएनयू को बताया, ‘मानवाधिकार कार्यालय हमारे बारे में इस तरह की मूल्यांकन रिपोर्ट जारी कर रहा है, ऐसे में हम कार्यालय के साथ सहयोग नहीं कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि चीन का मानना ​​​​है कि रिपोर्ट ‘खतरा पैदा करती है’ और वह ‘सहयोग नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।’ 31 अगस्त को कार्यालय में अपने अंतिम दिन मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की तत्कालीन उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट के कार्यालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें चीन पर उइगरों और अन्य जातीय समूहों के खिलाफ मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।

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