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China war preparation: क्या अमेरिका और चीन में हो जाएगा युद्ध, देखें समुद्र में क्या चल रही ड्रैगन की तैयारी

China war preparation: ताइवान का मामला क्या इतना अधिक गंभीर हो चुका है कि अब अमेरिका और चीन युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हैं। आखिर क्या वजह है कि चीन अभी से युद्ध की तैयारियों में जुट गया है।

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Highlights

  • चीन के पास है दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
  • ताइवान पर तनाव के बीच चीन की युद्धक तैयारी
  • समुद्र में चीन बढ़ा रहा अपनी युद्धक क्षमता

China war preparation: ताइवान का मामला क्या इतना अधिक गंभीर हो चुका है कि अब अमेरिका और चीन युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हैं। आखिर क्या वजह है कि चीन अभी से युद्ध की तैयारियों में जुट गया है। समुद्र में चीन की युद्ध की तैयारी देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अभी से खुद को मजबूत करने में जुटा है। ताइवान पर अमेरिका ने जब से चीन को धमकाया है, तब से ड्रैगन ने समुद्र के भीतर अपनी युद्ध की तैयारियों को तेज कर दिया है।

इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अभी कुछ सप्ताह पहले ही श्रीलंका के बंदरगाह पर एक चीनी वैज्ञानिक पोत आया था, जो निगरानी उपकरणों से लैस था। दक्षिण चीन सागर में स्थित विवादित द्वीपों के आसपास मछली पकड़ने की सैकड़ों नौकाओं ने महीनों लंगर डाले थे और महासागर में जाने की क्षमता रखने वाली नौकाएं गश्त लगा रही थीं, जो भारी उपकरण और कई लोगों को ले जाने में सक्षम थी। ये सभी असैन्य पोत थे, लेकिन विशेषज्ञों और इन गतिविधियों से असहज हुए देशों की सरकारों का कहना है कि ये चीन की समुद्री क्षमता को बढ़ाने के लिए नागरिक-सैन्य मिलीजुली रणनीति का हिस्सा हैं, जिसके बहुत से उद्देश्यों का खुलासा बीजिंग ने नहीं किया है।

चीन के पास है दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
पोत की संख्या के मामले में चीन की नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। वह सैन्य विस्तार के दृष्टिकोण से तेजी से नए युद्धपोत बना रहा है। चीन की नौसेना ने जून में अपना पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत पेश किया था और उसके कम से कम पांच नए विध्वंसक युद्धपोत शीघ्र ही बनकर तैयार हो जाएंगे। चीन, क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है और वह ताइवान के आसपास अपनी सैन्य गतिविधियों में इजाफा कर रहा है। चीन, प्रशांत महासागर में नए सुरक्षा समझौते कर रहा है और कृत्रिम टापुओं का निर्माण कर रहा है, वहीं, दक्षिण चीन सागर में उसके दावों को अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

असैन्य पोत चीन की चाल का अहम हिस्सा
चीन अब असैन्य नौकाओं और पोतों के जरिये वह काम करने की कोशिश कर रहा है, जो सीधे तौर पर सेना के जरिये नहीं किया जा सकता। रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र के ‘एशिया मेरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव’ के निदेशक ग्रेगरी पोलिंग ने कहा कि मिसाल के तौर पर दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीपों पर चीन मछली पकड़ने की व्यावसायिक नौकाओं को साल में 280 दिन तक केवल लंगर डालने के लिए उससे कई गुना ज्यादा धन देता है, जितना वह मछली पकड़ कर कमा सकती हैं। उन्होंने कहा कि चीन ऐसा इसलिए करता है ताकि वह उस विवादित द्वीपसमूह पर अपने कब्जे का दावा कर सके।

पोलिंग ने कहा, “चीन साधारण असैन्य नौकाओं का इस्तेमाल करता है और उन्हें निर्देश तथा धन देकर पड़ोसी देशों की संप्रभुता को चुनौती देता है और बाद में मुकर जाता है कि इसके लिये वह जिम्मेदार है।” उन्होंने कहा कि स्प्रैटली द्वीपों पर फिलीपीन, मलेशिया, वियतनाम और अन्य भी दावा करते हैं, लेकिन चीन के पोत अन्य नौकाओं को मछली पकड़ने से रोकते हैं।

चीन की हर गतिविधि पर अमेरिका की नजर
चीन जो कुछ भी कर रहा है उसकी गतिविधि पर अमेरिका की पैनी नजर है। समुद्र में इन दिनों चीन ने अपनी युद्धक तैयारियों को तेज कर दिया है। इसका जवाब देने के लिए अमेरिका भी तैयार है, लेकिन वह किसी को अपनी तैयारी के बारे में बताता नहीं है।

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