A
Hindi News विदेश यूरोप आखिर क्या चाहता है रूस? युद्ध के 7 महीने पूरे होते ही यूक्रेन के इन 4 इलाकों में करवाया जनमत संग्रह, उसके लिए ये कितना अहम?

आखिर क्या चाहता है रूस? युद्ध के 7 महीने पूरे होते ही यूक्रेन के इन 4 इलाकों में करवाया जनमत संग्रह, उसके लिए ये कितना अहम?

Russia's Referendum in Ukraine: रूस ने पश्चिमी देशों को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यूक्रेनी क्षेत्रों को अपने देश में शामिल करने के बाद वह अपनी सीमा की रक्षा करने के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग भी कर सकता है।

Russia's Referendum in Ukraine- India TV Hindi Image Source : AP Russia's Referendum in Ukraine

Highlights

  • रूस ने यूक्रेन के इलाकों में करवाया जनमत संग्रह
  • इन क्षेत्रों को रूस में शामिल करना है मकसद
  • पुतिन ने परमाणु हमले की धमकी भी दी थी

Russia's Referendum in Ukraine: यूक्रेन के साथ जारी युद्ध को 7 महीने पूरे होते ही रूस ने यहां अफने कब्जे वाले इलाकों में जनमत संग्रह करवाया है। जिसके पीछे का उद्देश्य इन क्षेत्रों को रूसी सीमा में मिलाए जाने से पहले की कवायद है। वहीं, रूस के इस कदम से और युद्ध में परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी से उसके और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। रूस के नियंत्रण वाले दक्षिणी और पूर्वी यूक्रेन के चार हिस्सों को संभवत: शुक्रवार को औपचारिक रूप से देश में (रूस में) शामिल किए जाने की घोषणा के बाद क्षेत्र में सात महीने से जारी युद्ध एक नए खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाएगा।

रूस ने पश्चिमी देशों को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यूक्रेनी क्षेत्रों को अपने देश में शामिल करने के बाद वह अपनी सीमा की रक्षा करने के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग भी कर सकता है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को कहा कि मतदान के बाद ‘कानूनी नजरिए से और अंतरराष्ट्रीय कानून की नजर से हालात में बेहद जरूरी बदलाव होंगे और आगे जो कुछ भी होगा वह इन क्षेत्रों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिहाज से होगा।’ यूक्रेन में युद्ध के दौरान हाल में रूसी सेना को मिल रही शिकस्त के बीच राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पिछले सप्ताह से ही मॉस्को द्वारा परमाणु हथियार के उपयोग के विकल्प की बात कर रहे हैं।

किन चार क्षेत्रों में हुआ है मतदान?

यूक्रेन के खेरसोन, जापोरिज्जिया, लुहांसक और दोनेत्स्क में शुक्रवार से शुरू हुआ मतदान और पुतिन द्वारा रूसी सेना के रिजर्व बलों को बुलाया जाना, उन रणनीतियों में शामिल है, जिनके माध्यम से मॉस्को खुद को मजबूत दिखाने का प्रयास कर रहा है। राष्ट्रपति पुतिन की अध्यक्षता वाली रूस की सुरक्षा परिषद के उपप्रमुख दमित्री मेदवेदेव ने बेहद स्पष्ट और कड़े शब्दों में मंगलवार को यह धमकी दी। संदेश भेजने वाले ऐप चैनल पर मेदवेदेव ने लिखा है, ‘कल्पना करें कि अगर रूस उस यूक्रेनी शासन के खिलाफ सबसे ताकतवर (विध्वंसकारी) हथियार का उपयोग करने पर बाध्य होता है, जो (यूक्रेन) बड़े पैमाने पर आक्रामक कार्रवाई कर रहा है और हमारे राष्ट्र के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है।’

Image Source : APRussia's Referendum in Ukraine

उन्होंने लिखा है, ‘मुझे विश्वास है कि ऐसी परिस्थिति में नाटो सीधे तौर पर युद्ध में हिस्सा लेने से बचेगा।’ वहीं कीव और पश्चिमी देशों ने परमाणु हथियारों के उपयोग संबंधी रूस की चेतावनी को कोरी धमकी बताया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान ने पुतिन द्वारा पिछले सप्ताह दी गई परमाणु हथियार के उपयोग की धमकी पर जवाब दिया। सुलिवान ने रविवार को एनबीसी से कहा कि अगर रूस ने यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियार के उपयोग की अपनी धमकी को सच्चाई में बदल दिया तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

लोगों से क्या पूछा जा रहा है?

रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्र में पांच दिन तक चले इस मतदान में लोगों से पूछा जा रहा है कि वे अपने क्षेत्र को रूस में शामिल करना चाहते हैं या नहीं। यह मतदान किसी भी सूरत में निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं माना जा रहा है क्योंकि युद्ध के कारण क्षेत्र के हजारों निवासी पलायन कर गए हैं और फिलहाल वहां रह रहे लोगों पर सशस्त्र रूसी सैनिक घर-घर जाकर मतदान करने का दबाव बना रहे हैं। वहीं यूक्रेन के शहर मारियुपोल के मेयर वादिम बोइशेंको ने कहा कि दोनेत्स्क में हुए जनमत संग्रह में वहां मौजूद करीब 1,00,000 निवासियों में से महज 20 फीसदी ने मतदान किया है। मेयर इस तटवर्ती शहर पर रूस का नियंत्रण होने के बाद वहां से दूसरी जगह चले गए हैं।

युद्ध से पहले मारियुपोल की आबादी 5,41,000 हुआ करती थी। जनमत संग्रह के दौरान लोगों को किस तरह वोट डालने को मजबूर किया गया, इस बारे में मेयर ने कहा, ‘राइफल लिए एक व्यक्ति आपके घर आता है और आपसे वोट डालने को कहता है, लोग क्या कर सकते हैं?’ पश्चिमी सहयोगी देश, हालांकि दृढ़ता से यूक्रेन के साथ हैं और उन्होंने इस जनमत संग्रह को फर्जीवाड़ा बताया है। फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने कहा कि मंगलवार को कीव यात्रा के दौरान फ्रांस ‘यूक्रेन और उसकी सम्प्रभुता और उसकी सीमा की अखंडता का समर्थन’ करने को प्रतिबद्ध है।

पुतिन के फैसले से रूस में बवाल

इस बीच, सक्रिय सैन्य ड्यूटी के लिए लोगों का आह्वान करना पुतिन को भारी पड़ रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में लोग देश से पलायन कर रहे हैं, रूस में विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शन हो रहे हैं और कहीं-कहीं हिंसा भी हुई है। सोमवार को साइबेरिया के एक शहर में एक बंदूकधारी ने सेना भर्ती कार्यालय में गोलियां चलाईं, जिसमें स्थानीय मुख्य सेना भर्ती अधिकारी घायल हो गए। इससे पहले भर्ती कार्यालयों में कई जगह आगजनी की घटना भी हुई थी। वहीं रूसी मीडिया भी अटकलें लगा रहा है कि युद्ध क्षेत्र में यूक्रेन को हाल में मिल रही बढ़त के कारण मुश्किल में फंसे पुतिन अपने पिछले सप्ताह के आदेश को लागू कर सकते हैं, जिसमें उन्होंने मार्शल कानून लागू करके जवानों की आंशिक तैनाती करने और सीमाओं को उन सभी लोगों के लिए बंद करने की बात कही थी, जिनकी आयु युद्ध में भाग लेने योग्य है।

बड़े पैमाने पर सेना में भर्ती से बचने के लिए देश छोड़कर जा रहे लोगों को रोकने के ताजा प्रयासों के तहत रूस के अधिकारियों ने जॉर्जिया से सटी सीमा पर सैन्य भर्ती कार्यालय खोलने की योजना बनाई है। देश छोड़ने के मुख्य मार्गों में जॉर्जिया की सीमा भी एक मार्ग है। एक ओर रूस, यूक्रेन में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहा है वहीं दूसरी ओर उसकी गोलाबारी में लोगों की जान जा रही है। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय ने मंगलवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में रूसी गोलाबारी में कम से कम 11 नागरिक मारे गए हैं, जबकि 18 अन्य घायल हुए हैं।

Image Source : APRussia's Referendum in Ukraine

रूस के हमलें में आम लोगों की मौत

खारकीव के पेरवोमाईस्की शहर में रूसी हमले में 15 साल के किशोर सहित आठ लोगों की मौत हुई है। पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र के गवर्नर पावलो किरिलेंको ने बताया कि ‘जनमत संग्रह के दौरान प्रत्येक दिन हम डोनबास में और लोगों की मौत देखते हैं और मृतकों की संख्या रूस का असली मकसद बता रही है।’ गौरतलब है कि मॉस्को समर्थित अलगाववादियों के आंशिक नियंत्रण वाले दोनेत्स्क और लुहांसक क्षेत्र मिलकर यूक्रेन के औद्योगिक डोनबास क्षेत्र का निर्माण करते हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा गठित एक निगरानी मिशन ने मंगलवार को पहली बार यूक्रेन पर रूसी हमले के पहले पांच महीनों, फरवरी से 31 जुलाई तक रूस और यूक्रेन द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघन और अत्याचारों पर पहली विस्तृत रिपोर्ट पेश की है।

मिशन की प्रमुख माटिल्डा बोगनर ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यूक्रेनी युद्ध बंदियों को ‘सुनियोजित’ तरीके से प्रताड़ित किया गया है, ‘ना सिर्फ उन्हें पकड़े जाने के दौरान बल्कि उन्हें जिन जगहों पर बंदी बनाकर रखा जाना था, वहां स्थानांतरण के दौरान भी’ फिर चाहे वह रूस के नियंत्रण वाले हिस्सों में हो या फिर रूस में। यूक्रेन युद्ध पर अभी भी पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है, क्योंकि इसके कारण बड़े पैमाने पर खाद्यान्न के अलावा ऊर्जा संकट पैदा हो गया है। हर जगह महंगाई चरम पर है और वैश्विक स्तर पर असमानता बढ़ रही है। परमाणु हथियारों के उपयोग की बात से चिंता और बढ़ी है। युद्ध की शुरूआत में रूस के नियंत्रण में गए और पुन: यूक्रेन के नियंत्रण में आए क्षेत्रों में मुश्किलें और कठिनाइयां आम बात हैं। कुछ लोगों के पास गैस नहीं है, बिजली, पानी नहीं है और मार्च से ही इंटरनेट सेवा भी नहीं है।

युद्ध के कारण पश्चिमी यूरोप में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है और जर्मन अधिकारियों के अनुसार, रूस से ऊर्जा आपूर्ति बाधित होना, क्रेमलिन द्वारा यूक्रेन का समर्थन कर रहे यूरोप पर दबाव बनाने का तरीका है। वहीं जर्मनी के ‘इकोनॉमी मंत्रालय’ ने मंगलवार को कहा कि रूस से यूरोप जाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम-2 पाइप लाइन में लीक की सूचना मिलने के कुछ ही घंटों बाद नॉर्ड स्ट्रीम-1 में गैस का दबाम कम होने की सूचना मिली। दोनों पाइप लाइन रूस से यूरोप को प्राकृतिक गैस पहुंचाने के लिए बिछाई गई हैं। यूरेशिया ग्रुप के विश्लेषकों का कहना है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हुई तो भी इन पाइप लाइन के माध्यम से इस साल सर्दियों में यूरोप तक गैस पहुंचाना संभव नहीं होगा। वहीं क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह ‘बेहद चिंताजनक’ है और इसकी जांच की जाएगी।

Latest World News