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Hindi News विदेश यूरोप भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव, बिगड़े रिश्ते... फिर भी साथ में युद्धाभ्यास करेंगी सेना! Vostok 2022 में 50,000 सैनिक लेंगे हिस्सा, क्या है ये?

भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव, बिगड़े रिश्ते... फिर भी साथ में युद्धाभ्यास करेंगी सेना! Vostok 2022 में 50,000 सैनिक लेंगे हिस्सा, क्या है ये?

Vostok 2022 Military Exercise: रूस में वोस्तोक-2022 सैन्य अभ्यास में भारतीय सैनिकों की भागीदारी पर नई दिल्ली में भारतीय सेना या रक्षा मंत्रालय की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

China India Vostok 2022 Military Exercise- India TV Hindi Image Source : INDIA TV China India Vostok 2022 Military Exercise

Highlights

  • रूस में आयोजित होगा वोस्तोक-2022
  • रूस ने मामले में जारी किया है बयान
  • भारत की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है

Vostok 2022 Military Exercise: रूस ने सोमवार को कहा कि ‘वोस्तोक 2022 सैन्य अभ्यास’ एक से सात सितंबर तक सुदूर पूर्व और जापान सागर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाएगा और इसमें चीन, भारत और कई अन्य देशों के 50,000 से अधिक सैनिक शामिल होंगे। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से एक बयान में कहा है कि एक से सात सितंबर तक ईस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के सात प्रशिक्षण मैदानों पर और ओखोतस्क सागर एवं जापान सागर के समुद्री और तटीय क्षेत्रों में ‘रक्षात्मक और आक्रामक अभियानों का अभ्यास’ किया जाएगा।

बयान में कहा गया है, ‘रणनीतिक युद्धाभ्यास 50,000 से अधिक सैनिकों और 5,000 से अधिक आयुध और सैन्य हार्डवेयर, विशेष रूप से, 140 विमान, 60 लड़ाकू जहाज, गनबोट और सहायक पोतों को एक साथ लायेगा।’ बयान के अनुसार, इस सैन्य अभ्यास में चीन, भारत, लाओस, मंगोलिया, निकारागुआ, सीरिया और कई पूर्व सोवियत राष्ट्रों के सैनिक भाग लेंगे। रूस में वोस्तोक-2022 सैन्य अभ्यास में भारतीय सैनिकों की भागीदारी पर नई दिल्ली में भारतीय सेना या रक्षा मंत्रालय की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

तनाव के बीच साथ में युद्धाभ्यास करेंगे सैनिक 

भारत और चीन ऐसे वक्त में साथ में इस युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं, जब लंबे समय से दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के सैनिकों ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था। वज्र प्रहार नाम के इस अभ्यास में दोनों ही देशों के विशेष बल के कमांडों ने हिस्सा लिया था। चीन के रक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर नाराजगी जताई थी और कहा कि वह भारत के साथ जारी सीमा विवाद में किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का विरोध करता है और भारत से उम्मीद करता है कि वह अपनी सेना को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे कर ले। चीन ने ये भी कहा कि भारत को द्विपक्षीय समझौते का पालन करते हुए ऐसे युद्धाभ्यास नहीं करना चाहिए। 

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चीन पर समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप

चीन ने खुद पूर्वी लद्दाख में समझौतों का उल्लंघन किया था, जिसके कारण यहां गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हुई। चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल तान केफेई ने कहा कि चीन-भारत का सीमा विवाद दो देशों के बीच का विवाद है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सभी स्तरों पर प्रभावी बातचीत को जारी रखा हुआ है और द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से स्थिति को ठीक से निपटाने के लिए सहमत हुए हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन पर बरसे

ब्राजील के साउ पाउलो में आयोजित एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि इस वक्त हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन के बीच 1990 के दशक में समझौते हुए थे। विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन किया है। आपको पता है कि कुछ साल पहले गलवान में क्या हुआ था। उस समस्या का अभी तक समाधान नहीं हुआ है और इसका साफतौर पर असर पड़ रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर 1993 और 1996 के समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

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उसने चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा है, '17 जुलाई को भारत और चीन के बीच 16वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी, तब स्थिरता और शांति बनाए रखने पर सहमति बनी थी। दोनों पक्षों ने उकसावे की कार्रवाई नहीं करने और बातचीत जारी रखने का फैसला लिया था। वो भारत ही है, जिसने 1990 के दशक में दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन किया है।'

क्या था 1993 का सीमा समझौता?

ग्लोबल टाइम्स ने आगे चाइनीज अकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के तहत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज बॉर्डरलैंड्स स्टडीज के रिसर्च फेलो झांग योंगपान के हवाले से ये बातें लिखी हैं। दरअसल भारत और चीन ने 1993 और 1996 में सीमा विवाद के मुद्दे पर दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। 1993 के सीमा से जुड़े हस्ताक्षरित समझौते में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति हुई थी।  

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