ये सभी मामले और फैसले बेहद निजी होते हैं
बिंघम ने कहा कि यह केवल उसके जैसे 20-30 की उम्र के लोगों से ऐसे सवाल पूछने से जुड़ी संवेदनशून्यता का सवाल नहीं है, बल्कि सवाल उस दुख का भी है जो ऐसे सवालों से किसी नवविवाहित जोड़े को हो सकता है, जो इस सवाल से जूझ रहे होते हैं कि उन्हें बच्चा कब चाहिए या जो बांझपन या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे होते हैं। बिंघम ने कहा कि ये सभी मामले और फैसले बेहद निजी होते हैं।
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