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Hindi News विदेश अमेरिका ‘हम बातचीत चाहते हैं, भारत बस आतंक पर चर्चा चाहता है’

‘हम बातचीत चाहते हैं, भारत बस आतंक पर चर्चा चाहता है’

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत ने कहा है कि पाकिस्तान भारत के साथ रिश्तों को सामान्य करना चाहता है लेकिन भारत ने यह ‘संकेत’ दिया है कि उसकी रुचि केवल आतंकवाद के बारे में बात करने की है, जो दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रगति के परिप्रेक्ष्य में

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न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत ने कहा है कि पाकिस्तान भारत के साथ रिश्तों को सामान्य करना चाहता है लेकिन भारत ने यह ‘संकेत’ दिया है कि उसकी रुचि केवल आतंकवाद के बारे में बात करने की है, जो दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रगति के परिप्रेक्ष्य में शुभ संकेत नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि और दूत मलीहा लोधी की यह टिप्पणी भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और पाकिस्तान में उनके समकक्ष एजाज अहमद चौधरी की 26 अप्रैल को दिल्ली में ‘हार्ट ऑफ एशिया’ क्षेत्रीय सम्मेलन से इतर हुई मुलाकात के बाद आई है।

मलीहा ने कहा, ‘पाकिस्तान ने बार बार भारत से समग्र और व्यापक शांति प्रक्रिया बहाल करने का अनुरोध किया है, लेकिन वह अब तक इस पर सहमत नहीं हुआ है और उसने केवल आतंकवाद के मुद्दे पर बात करने में अपनी दिलचस्पी दिखाई है, जो कूटनीतिक प्रगति के परिप्रेक्ष्य में उचित नहीं है।’ कैम्ब्रिज में हार्वर्ड केनेडी स्कूल में 25 अप्रैल को ‘साउथ एशिया वीक’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए मलीहा क्षेत्रीय स्थिरता पर पाकिस्तान की भूमिका के बारे में बोल रही थीं।

न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के स्थायी मिशन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, मलीहा ने कहा कि पाकिस्तान प्रमुख मुद्दों के राजनीतिक हल के जरिए भारत के साथ रिश्ते सामान्य करना चाहता है।

मलीहा ने कहा कि पाकिस्तान की प्राथमिकता में आर्थिक पुनरुत्थान, आतंकवाद को विफल करना और समूचे पाकिस्तान में और उसके आस पास से हिंसक चरमपंथ को उखाड़ फेंकना शामिल है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की दूसरी प्राथमिकता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता कायम करना है जिसके लिए अफगानिस्तान में संघर्ष का खात्मा करना जरूरी है और भारत-पाक रिश्तों को न्यायोचित और स्थायी आधार पर सामान्य करना है।

चीन के संबंध में मलीहा ने कहा कि यह देश पाकिस्तान की विदेश नीति का ‘मुख्य बिंदु’ है और चीन के साथ पाकिस्तान के रिश्ते ‘सामरिक, ऐतिहासिक और निर्णायक’ रहे हैं।

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