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Hindi News विदेश अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को टालने पर बरसा भारत, तंज कसते कहा-अभी 75 साल और लगेंगे

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को टालने पर बरसा भारत, तंज कसते कहा-अभी 75 साल और लगेंगे

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता में सुधार पर देरी किए जाने से भारत बेहद खफा हो गया है। दरअसल यूएन महासभा ने सुधार संबंधी चर्चा पर प्रस्ताव को सितंबर तक अगले सत्र के लिए टाल दिया है। वार्ता को आगे खिसकाए जाने को भारत ने जानबूझकर लटकाने वाला कदम बताया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद- India TV Hindi Image Source : AP संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थाई सदस्यता में सुधार को लेकर लगातार हो रही देरी पर भारत भड़क गया है। बता दें कि इस दौरान सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को अगले सत्र तक के लिए फिर टाल दिया गया है। जानबूझकर इस मसले को लगातार आगे खिसकाने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के फैसले भारत ने तीखी आलोचना की है। साथ ही इसे “जाया किया गया एक और मौका करार दिया है। भारत ने तंज कसते कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया बिना किसी वास्तविक प्रगति के 75 साल और खिंच सकती है।

दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बृहस्पतिवार को उस मौखिक मसौदा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को सितंबर में शुरू होने वाले (महासभा के) 78वें सत्र में जारी रखने का प्रावधान है। इस फैसले के साथ ही मौजूदा 77वें सत्र में इस अंतर-सरकारी वार्ता का अंत हो गया। इस पर भारत ने गहरी नाराजगी जताई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने इस बात पर जोर दिया कि अंतर-सरकारी वार्ता को आगे खिसकाने का फैसला महज एक विचारहीन तकनीकी अभ्यास तक सीमित नहीं रह जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम वार्ता को तकनीकी आधार पर टालने के फैसले को उस प्रक्रिया में जान फूंकने की एक और जाया कोशिश के तौर पर देख रहे हैं, जिसमें पिछले चार दशक में जीवंतता या प्रगति के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

ऐसे तो 75 साल तक चलती रहेगी सुधार की प्रक्रिया

” कंबोज ने स्पष्ट किया कि भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी के निजी प्रयासों को मान्यता देने के लिए मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार करने की आम सहमति का हिस्सा बना। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि अंतर-सरकारी वार्ता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के मौजूदा ढांचे और तौर-तरीकों में बिना किसी वास्तविक सुधार के, अगले 75 साल के लिए और खिंच सकती है। कंबोज ने कहा, “भारत संयुक्त राष्ट्र के एक जिम्मेदार और रचनात्मक सदस्य के रूप में अपने सुधारवादी साझेदारों के साथ निश्चित रूप से इस प्रक्रिया में शामिल होता रहेगा। वह बार-बार दोहराए जाने वाले भाषणों के बजाय दस्तावेज आधारित सार्थक वार्ता की दिशा में काम करता रहेगा।” उन्होंने कहा, “हालांकि, हममें से जो लोग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जल्द एवं व्यापक सुधार की अपनी नेताओं की प्रतिबद्धता को वास्तव में पूरा करना चाहते हैं, उनके लिए अंतर-सरकारी वार्ता से परे देखना ही भविष्य में एक ऐसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थापना के लिए एकमात्र व्यवहार्य मार्ग के रूप में नजर आता है, जो आज की दुनिया को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करता है।

वार्ता को जानबूझकर खिसकाया गया आगे

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संबंधी वार्ता को जानबूझकर आगे खिसकाने के फैसले का जिक्र करते हुए कंबोज ने कहा कि इस प्रक्रिया से यूएन महासभा में हर साल निकलने वाले औपचारिक निष्कर्षों के मद्देनजर इसमें पूरे वर्ष सदस्य देशों के बीच हुए विचार-विमर्श से मिली प्रगति को भी शामिल और प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत प्रक्रिया की वेबकास्टिंग और डिजिटल संरक्षण की शुरुआत के मद्देनजर इस मांग के छोटे-से हिस्से को स्वीकार करने के संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष के प्रयासों से उत्साहित है। कोरोसी ने अपने संबोधन में कहा कि इन अंतर-सरकारी वार्ताओं के इतिहास में पहली बार बैठकों के पहले हिस्से को अब वेबकास्ट किया जा रहा है और वार्ता प्रक्रिया के निष्कर्षों को सहेजने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार को समर्पित एक वेबसाइट तैयार की गई है। (भाषा)

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