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Hindi News विदेश अमेरिका भारत के साथ हो या पाकिस्तान? दोनों देशों के साथ अपने रिश्तों पर खुलकर बोला अमेरिका, कहा- दोनों अलग-अलग तरह से साझेदार

भारत के साथ हो या पाकिस्तान? दोनों देशों के साथ अपने रिश्तों पर खुलकर बोला अमेरिका, कहा- दोनों अलग-अलग तरह से साझेदार

US Relationship With India-Pakistan: जयशंकर ने अमेरिका के इस तर्क पर सवाल उठाया था कि एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव से संबंधित पाकिस्तान को दिया जाने वाला पैकेज आतंकवाद से लड़ने के लिए है।

American spokesman Edward Price- India TV Hindi Image Source : AP American spokesman Edward Price

Highlights

  • पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर दे रहा अमेरिका
  • ट्रंप के फैसले को बाइडेन सरकार ने पलटा
  • एफ-16 के रखरखाव के लिए पैकेज को मंजूरी दी

US Relationship With India-Pakistan: बाइडेन प्रशासन ने सोमवार को कहा कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने संबंधों के एक नजरिए से नहीं देखते, दोनों अलग-अलग तरह से अमेरिका के साझेदार हैं। बाइडेन प्रशासन ने यह बात अमेरिका आए विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान के एक दिन बाद कही है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को नवीनतम अमेरिकी एफ-16 सुरक्षा सहायता देने के अमेरिका के फैसले को लेकर सवाल उठाए थे। जयशंकर ने अमेरिका के इस तर्क पर सवाल उठाया था कि एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव से संबंधित पाकिस्तान को दिया जाने वाला पैकेज आतंकवाद से लड़ने के लिए है।

जयशंकर ने कहा था कि हर कोई जानता है कि एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कहां और किसके खिलाफ किया जाता है। भारतीय-अमेरिकियों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'आप ये बातें कहकर किसी को मूर्ख नहीं बना रहे हैं।' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हम पाकिस्तान और भारत के साथ अपने संबंधों को एक नजरिए से नहीं देखते। दोनों अलग-अलग तरह से हमारे साझेदार हैं।' उन्होंने कहा, 'हम दोनों को साझेदार के रूप में देखते हैं, क्योंकि कई मामलों में हमारे साझा मूल्य हैं। हमारे कई मामलों में साझा हित हैं। और भारत के साथ हमारे संबंध अलग हैं। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते अपनी जगह हैं।'

बाइडेन ने ट्रंप के फैसले को पलटा

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने पर रोक लगाने से संबंधित पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन के फैसले को बदलते हुए पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी। ट्रंप प्रशासन ने यह रोक कथित तौर पर अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने के लिए लगाई थी। प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहते हैं कि इन दोनों पड़ोसियों के संबंध यथासंभव रचनात्मक हों।'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी प्रशासन द्वारा 45 करोड़ डॉलर के पैकेज को मंजूरी दिए जाने के फैसले पर रविवार को सवाल उठाया और कहा कि अमेरिका के पाकिस्तान के साथ संबंधों से दोनों में से किसी देश को ‘कोई फायदा नहीं’ हुआ है। जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों के साथ एक संवाद के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘ईमानदारी से कहूं, तो इस संबंध से न तो पाकिस्तान को कोई फायदा हुआ है और न ही इससे अमेरिका के हितों को पूरा करने में मदद मिली है, इसलिए अब अमेरिका को वास्तव में यह सोचना चाहिए कि इस संबंध का फायदा क्या है और इससे उन्हें क्या मिल रहा है।’

अमेरिका ने आतंकवाद का तर्क दिया

अमेरिका ने इसको लेकर तर्क दिया था कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए एफ-16 के रख-रखाव के लिए पैकेज को मंजूरी दी गई है। जयशंकर ने अमेरिका के इस तर्क का जिक्र करते हुए कहा कि हर कोई जानता है कि एफ-16 का कहां और किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आप इस प्रकार की बातें कहकर किसी को मूर्ख नहीं बना सकते।’ अमेरिकी संसद को दी एक अधिसूचना में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रख-रखाव के लिए संभावित विदेश सैन्य बिक्री (एफएमएस) को मंजूरी देने का निर्णय किया है। मंत्रालय ने दलील दी थी कि इससे इस्लामाबाद को वर्तमान और भविष्य में आतंकवाद के खतरों से निपटने की क्षमता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से बातचीत में पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान बेड़े के रख-रखाव के लिए पैकेज देने के अमेरिका के फैसले पर भारत की ओर से चिंता प्रकट की थी।

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