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अमेरिका ने डाला चीन के जबड़े में हाथ, शी जिनपिंग का छिन गया सुकून

America on China-Taiwan Tension: कोरोना की भीषण आग में जलते रहने के बावजूद चीन जबरन विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा। शी जिनपिंग ताइवान से लेकर, भारत, फिलीपींस और जापान तक को घेरने में जुटे हैं। चीनी सेना कभी भारत के गलवान और तवांग में घुसपैठ का प्रयास करती है तो कभी ताइवान को घुड़की दिखाती है।

शी जिनपिंग और जो बाइडन (फाइल)- India TV Hindi Image Source : AP शी जिनपिंग और जो बाइडन (फाइल)

America on China-Taiwan Tension: कोरोना की भीषण आग में जलते रहने के बावजूद चीन जबरन विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा। शी जिनपिंग ताइवान से लेकर, भारत, फिलीपींस और जापान तक को घेरने में जुटे हैं। चीनी सेना कभी भारत के गलवान और तवांग में घुसपैठ का प्रयास करती है तो कभी ताइवान को घुड़की दिखाती है। जिनपिंग कभी जापान के समुद्री क्षेत्र में धमक दिखाते हैं तो कभी फिलीपींस समेत अन्य देशों के सीमा क्षेत्र में अराजकता फैलाते हैं। चीन एक तरीके से पूरे साउथ ईस्ट एशिया में अशांति का कारण बन चुका है। उसकी दादागीरी को कम करने के लिए अमेरिका ने ताइवान को बारूदी सुरंग बिछाने वाली टैंक रोधी प्रणाली देने की मंजूरी दे दी है। इससे चीन की चिंता बढ़ गई है। ऐसा करके अब अमेरिका ने सीधे चीन के जबड़े में हाथ डाल दिया है। ताकि उसकी हेकड़ी कम की जा सके। इससे शी जिनपिंग की नींद उड़ गई है। चीन की अकड़ ढीली करने के लिए अमेरिका ताइवान का खुला समर्थन कर रहा है। इससे अमेरिका और चीन में तनाव बढ़ता जा रहा है।

दरअसल अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने ताइवान पर चीन के बढ़ते सैन्य खतरे को देखते हुए ताइपे को टैंक रोधी बरूदी सुरंग बिछाने वाली प्रणाली की बिक्री करने के लिए मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि ‘वॉलकेनो सिस्टम’ और इससे संबंधित उपकरणों की अनुमानित कीमत करीब 18 करोड़ डॉलर होगी। यह प्रणाली टैंक रोधी और बारूदी सुरंग को जमीनी वाहन या हेलीकॉप्टर की मदद से बिछाने में सक्षम है। इस घोषणा से संकेत मिलता है कि ताइवान वाहन से बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंग प्रणाली खरीदेगा।

ताइवान के बारूदी ढेर से गुजरेगा चीन
अमेरिका द्वारा ताइवान को यह प्रणाली देने का ऐलान ऐसे वक्त में किया गया है। जब लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने ताइवान पर कब्जा जमाने के लिए बल प्रयोग की धमकी दे चुके हैं और पिछले कुछ दिनों से ताईवान के सीमा क्षेत्र में लड़ाकू विमानों की फौज भेजकर ताईवान को दबाव में लेने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान को चीन के संभावित हमले को रोकने या पीछे धकेलने के लिए इस तरह के हथियार की जरूरत है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को बताया था कि चीन की सेना ने अपनी ताकत दिखाने के लिए 24 घंटे के भीतर 71 विमान और सात पोत उसकी ओर भेजे। ताइवान स्वशासित द्वीप है, जिसे चीन अपना हिस्सा बताता है। चीन की ओर से ताइवान को दी जा रही सैन्य धमकी हाल के महीनों में बढ़ी है और उसके शीर्ष नेताओं ने कहा है कि द्विपीय देश के पास चीनी शासन को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

अमेरिका ने ताइवान को दिया संबल
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तान केफेई ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पीएलए ऐसे मिशन (ताइवान के खिलाफ) तब तक जारी रखेगी जब तक कि ताइवान की स्वतत्रंता समर्थक लोकतांत्रिक पार्टी दोनों पक्षों के बीच लगातार विवाद को उकसाने और दुश्मनी पैदा करने वाली नीति खत्म नहीं करती। उन्होंने कहा, ‘‘ पीएलए ने हमेशा राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका का ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंध है, जिसमें रक्षा आदान प्रदान और सैन्य उपकरणों की बिक्री शामिल है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने ताइवान को टैंक रोधी प्रणाली बेचने की घोषणा करते हुए कहा कि वॉलकेनो की बिक्री ‘‘ क्रेता की अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरण और विश्वसनीय रक्षा क्षमता देने में सहायता के साथ-साथ अमेरिका की राष्ट्रीय, आर्थिक और सुरक्षा हितों की पूर्ति करेगी।’

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