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"सपनों की कार खरीदना नहीं रहा आसान!" चिप संकट के कारण ग्राहकों को मिल रही सिर्फ 'तारीख पर तारीख'

कार खरीदने वालों को डिलिवरी की तय तारीख नहीं मिल पा रही है। कुछ कारों के लिए वेटिंग 4 से 6 महीनों तक की है।

Edited by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : December 09, 2021 19:06 IST
"सपनों की कार खरीदना...- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

"सपनों की कार खरीदना नहीं रहा आसान!" चिप संकट के कारण ग्राहकों को मिल रही सिर्फ 'तारीख पर तारीख'

Highlights

  • नवंबर का महीना मारुति और हुंडई जैसी कार कंपनियों के लिए बेहद खराब रहा है
  • त्योहारों में की गई बुकिंग की डिलिवरी साल के अंत तक मिल सकती है
  • क्रेटा के लिए सामान्य वेटिंग पीरिएड पांच से छह महीने और सैंट्रो का 3 महीने है

'ये इश्क नहीं आसान...' ये शेर आपने अक्सर हिंदी फिल्मों में सुना होगा। लेकिन जब आप कार खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको यह शेर कुछ इस तरह सुनाई दे सकता है कि 'अब कार खरीदना नहीं आसान'। दरअसल कार कंपनियां चिप या फिर सेमीकंडक्टर के गंभीर संकट से जूझ रही हैं। इसके कारण कार कंपनियों के उत्पादन और बिक्री के आंकड़े जमीन पर आ चुके हैं। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी के बिक्री के आंकड़े जमीन पर हैं। 

कार खरीदने वालों को डिलिवरी की तय तारीख नहीं मिल पा रही है। कुछ कारों के लिए वेटिंग 4 से 6 महीनों तक की है। ऐसे में यदि आपको अचानक कार खरीदने का ख्याल आया और सोच रहे हैं कि नए साल पर आप नई कार से घूमने जाएं, तो शायद आप सपना ही देख रहे हैं। क्योंकि जिन ग्राहकों ने टॉप सेलिंग मॉडल्स के लिए अगस्त सितंबर में बुकिंग करवाई थी, उन्हें भी दिसंबर तक डिलिवरी मिलने की संभावना नहीं है। 

सभी कंपनियों की घटी सेल 

बीते कुछ महीनों की तरह ही नवंबर का महीना मारुति और हुंडई जैसी कार कंपनियों के लिए बेहद खराब रहा है। मारुति सुजुकी ने नवंबर में कुल बिक्री 139184 यूनिट बेची। जबकि नवंबर 2020 में मारुति की कुल बिक्री 153223 यूनिट रही थी। हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) की नवंबर में कुल बिक्री 21 प्रतिशत घटकर 46,910 यूनिट हो गई।  कंपनी ने पिछले साल इसी महीने में 59,200 यूनिट की बिक्री की थी।नवंबर 2020 की 48,800 यूनिट की तुलना में इस साल नवंबर में घरेलू बिक्री 24 प्रतिशत घटकर 37,001 यूनिट रही। 

2022 के मध्य तक जारी रहेगा संकट 

मारुति जैसी दिग्गज आटोमोबाइल कंपनी की बिक्री में इतनी बड़ी गिरावट चौंकाने वाली है। लेकिन बिक्री में गिरावट मांग में कमी के कारण नहीं है, बल्कि यह सेमीकंडक्टर में कमी के चलते है। मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के चेयरमैन आर सी भार्गव का मानना है कि वाहन उद्योग के समक्ष आ रही सेमीकंडक्टर की कमी अस्थायी है और इसके 2022 तक दूर होने की उम्मीद है। हालांकि कंपनी ने बताया है कि वह आने वाले समय में चिप की कमी से पड़ने वाला असर कम होने की पूरी कोशिश करेगी। 

कार की वेटिंग हुई लंबी

चिप की कमी के चलते वाहनों की वेटिंग बढ़ गई है। यात्री वाहनों के लिए औसत रिजर्व की स्थिति 25 से 30 दिन की थी। वहीं दोपहिया क्षेत्र के लिए यह 20 से 25 दिन की है। लेकिन अब यह दोगुनी से अधिक हो गई है। ग्राहकों को महीनों पर बुकिंग करवानी पड़ रही है। डीलर्स के अनुसार त्योहारों में की गई बुकिंग की डिलिवरी साल के अंत तक मिल सकती है।

सिर्फ तारीख पर तारीख

कार के इंतजार में ग्राहकों को फिलहाल तारीख पर तारीख मिल रही है। दिल्ली के एक हुंडई डीलर के मुताबिक क्रेटा के लिए सामान्य वेटिंग पीरिएड पांच से छह महीने है। जबकि हुंडई सैंट्रो के लिए यह लगभग तीन महीने का है। यही हाल KIA का भी है। KIA कारों के सेल्टोस और सॉनेट वेरिएंट के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि होती है। कुछ यही हाल महिंद्रा, टाटा मोटर्स और मारुति सुजुकी की कारों का भी है।  

कितना बड़ा है चिप संकट 

कोरोना संकट के चलते दुनिया भर की कार कंपनियां चिप की भारी किल्लत से जूझ रही हैं। सेमीकंडक्टर की कुल मांग में वाहन उद्योग का हिस्सा करीब 10 प्रतिशत ही है। शेष मांग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और गैजेट उद्योग मसलन मोबाइल फोन और लैपटॉप की है। ऑटोमोबाइल कंपनियों की संस्था सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन के अनुसार भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग सप्लाई चेन में चुनौतियों के कारण दबाव में है। वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की कमी जारी है और अब इसका ऑटो उद्योग में उत्पादन पर तीव्र प्रभाव पड़ रहा है।  

यात्री वाहनों का कारोबार ठंडा 

चिप की कमी की वजह से त्योहारी सीजन के दौरान यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री पटरी से उतर सकती है। वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने यह आशंका जताई है। फाडा के अध्यक्ष विन्केश गुलाटी ने बयान में कहा, ‘‘वाहन डीलरों को अपने कारोबार के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी का प्रभाव अभी जारी है। पिछले साल तक मांग की चुनौती थी, अब सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से आपूर्ति बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है। हालांकि, अब यात्री वाहनों की मांग ऊंची है।’’

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